पॉक्सो के तहत बलात्कार की प्राथमिकी समझौते के आधार पर रद्द नहीं की जा सकती : उच्च न्यायालय

पॉक्सो के तहत बलात्कार की प्राथमिकी समझौते के आधार पर रद्द नहीं की जा सकती : उच्च न्यायालय

पॉक्सो के तहत बलात्कार की प्राथमिकी समझौते के आधार पर रद्द नहीं की जा सकती : उच्च न्यायालय
Modified Date: August 1, 2025 / 08:56 pm IST
Published Date: August 1, 2025 8:56 pm IST

चंडीगढ़, एक अगस्त (भाषा) पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि नाबालिग से बलात्कार के लिए यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी को समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता, भले ही पीड़िता ने बाद में आरोपी से शादी कर ली हो और उसके बच्चे भी हों।

अदालत ने कहा कि ऐसे समझौते कानून के तहत मान्य नहीं किए जा सकते, ये अवैध हैं।

वर्ष 2013 में प्राथमिकी दर्ज होने के समय, पीड़िता 13 साल की थी और उसके पिता ने तब आरोप लगाया था कि आरोपी उसे बहला-फुसलाकर ले गया था।

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आरोपी ने गुरुग्राम में कथित तौर पर लड़की के साथ बलात्कार किया और 2023 में गिरफ्तार होने से पहले नौ साल तक फरार रहने के चलते उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया गया।

गुरुग्राम में भारती दंड संहिता और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत अगस्त 2013 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आरोपी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया क्योंकि उसने पीड़िता से शादी कर ली और उनके चार बच्चे हैं। हालांकि, अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

उच्च न्यायालय ने 29 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि विवाह की आयु और यौन क्रियाकलाप के लिए सहमति की न्यूनतम आयु को एक निश्चित वैधानिक न्यूनतम आयु पर निर्धारित करने के पीछे तर्क इस मान्यता पर आधारित है कि नाबालिगों में यौन क्रियाओं के लिए सहमति देने के वास्ते अपेक्षित मानसिक परिपक्वता और मनोवैज्ञानिक क्षमता का अभाव होता है।

भाषा शफीक नेत्रपाल

नेत्रपाल


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