राज्यसभा में पीएम मोदी के भाषण की 5 प्रमुख बातें, एक साल बाद राज्यसभा में हुआ प्रधानमंत्री का संबोधन

राज्यसभा में पीएम मोदी के भाषण की 5 प्रमुख बातें, एक साल बाद राज्यसभा में हुआ प्रधानमंत्री का संबोधन

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  • Publish Date - February 8, 2021 / 09:09 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:16 PM IST

नईदिल्ली। नए कृषि कानूनों को लेकर संसद में विपक्षी पार्टियां तो सड़क में प्रदर्शन कर रहे किसान पीएम मोदी पर हमला कर रहे हैं, इसके बाद भी जब आज राज्यसभा में पीएम मोदी का संबोधन हो रहा था तो मोदी के माथे में चिंता की कोई भी लकीर नजर नहीं आ रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए कृषि कानूनों के लिए सभी को एक साथ मिलकर सहयोग करने की बात कही और आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम की सराहना भी की। हम यहां उनके भाषण की पांच प्रमुख बातों का उल्लेख कर रहे हैं।

1. कृषि सुधारों के लिए देना चाहिए एक मौका

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए हमने कदम उठाया है, हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है। सबको लगा कि अब समय आ गया है कि ये हो जाएगा, मैं भी दावा नहीं कर सकता कि हम सबसे अच्छा सोच सकते हैं। आगे नई सोच आ सकती है, इसको कोई रोक नहीं सकता। किसानों को ये भी बताते कि ये सुधार वक्त की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किसानों को भारत में एक बाजार देने की बात कही थी, आप लोगों को गर्व करना चाहिए कि जो बात सिंह साहब ने कही थी, वो मोदी कर रहा है। पीएम ने कहा कि किसानों से कृषि मंत्री लगातार बात कर रहे हैं, किसानों से कोई तनाव नहीं है, हम साफ कर रहे हैं एमएसपी थी,एमसीपी है और आगे भी रहेगी। कृषि सुधार के लिए एक मौका देना चाहिए, आगे कुछ अच्छे सुझाव आएंगे तो हम उसमें सुधार करेंगे। आए मिलकर कृषि सुधार के लिए कदम उठाएं।

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2. पीएम मोदी ने रखी छोटे किसानों का बात

पीएम ने कहा, सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई, ज्‍यादा से ज्‍यादा समय जो बातें बताई गईं, वो आंदोलन के बारे में बताई गईं, किस बात को लेकर आंदोलन है, उसपर चुप्‍पी रही, जो मूलभूत बात है, अच्‍छा होता कि उसपर चर्चा होती। हमारे कृषि मंत्री ने जो सवाल पूछे हैं, उनके जवाब तो नहीं मिलेंगे, पीएम मोदी ने सदन में छोटे किसानों के विकास के मुद्दे को उठाया। पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की बात का जिक्र करना चाहता हूं, उनका कथन है, किसानों का सेंसस लिया गया तो 33 फीसदी किसान ऐसे हैं जिनके पास जमीन दो बीघे से कम हैं, दो बीघे नहीं है। 18 फीसदी जो किसान कहलाते हैं, उनके पास दो बीघे से चार बीघे जमीन हैं, ये 51 फीसदी किसान चाहे जितनी मेहनत करें, अपनी थोड़ी सी जमीन पर ईमानदारी से इनकी गुजर नहीं हो सकती।’

उन्होंने कहा कि छोटे किसानों की दयनीय स्थिति हमेशा चौधरी चरण सिंह को परेशान करती थी, अब हम आगे देखें। ऐसे किसान जिनके पास 1 हेक्‍टेयर से भी कम जमीन है, 1971 में वे 51 फीसदी थे, आज 68 फीसदी हो चुके हैं। देश में ऐसे किसानों की संख्‍या बढ़ी है जिनके पास बहुत थोड़ी सी जमीन है। आज लघु और सीमांत किसानों को मिलाएं तो 68 फीसदी से ज्‍यादा किसानों के पास दो हेक्‍टेयर से भी कम जमीन है। ऐसे किसान 12 करोड़ हैं, क्‍या इन किसानों के प्रति हमारी कोई जिम्‍मेवारी नहीं? हमारी सरकार ने इन्हीं छोटे किसानों की दिशा में कदम उठाए हैं।

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3. भारत सिर्फ एक लोकतांत्रिक देश ही नहीं बल्कि लोकतंत्र का जनक है

पीएम मोदी ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यहां पर लोकतंत्र को लेकर बहुत उपदेश दिए गए हैं, उन्‍होंने कहा, “भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं कि जिसकी खाल हम उधेड़ सकते हैं, मैं डेरेक (ओ’ब्रायन) जी की बात सुन रहा था, बढ़‍िया-बढ़‍िया शब्‍दों का प्रयोग हो र‍हा था, मैं सुन रहा था तो सोच रहा था कि ये बंगाल की बात है? कांग्रेस के हमारे (प्रताप सिंह) बाजवा साहब बोल रहे थे, मुझे लग रहा था थोड़ी देर में वह आपातकाल तक पहुंच जाएंगे। पीएम ने कहा, ‘मैं एक कोट सदन के सामने रखना चाहता हूं, ‘हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्‍टर्न इंस्टिट्यूशन नहीं है, ये एक ह्यूमन इंस्टिट्यूशन है, भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है, प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है।

पीएम मोदी ने कहा कि आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है, भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रामक है। ये सत्‍यम शिवम सुंदरम के मूल्‍यों से प्रेरित है। आदरणीय सभापति जी, ये कोटेशन आजाद हिंद फौज की प्रथम सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस का है और संयोग है कि हम उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। दुर्भाग्‍य इस बात का है कि जाने-अनजाने में नेताजी की इस भावना को, नेताजी के इन विचारों को, नेताजी के इन आदर्शों को भुला दिया है और उसका परिणाम है कि आज हम ही हमको कोसने लग गए हैं।

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4. भारत ने मजबूती से किया कोरोना का मुकाबला

कोरोना संक्रमण का पीएम मोदी ने जिक्र करते हुए कहा, “हमारे यहां कोरोना को लेकर डराने की कोशिशें भी हुईं, कई विशेषज्ञों ने अपनी समझ के हिसाब से बताया, आज दुनिया इस बात पर गर्व कर रही है कि भारत ने कोरोना से लड़ाई में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, लेकिन भारत को तो जाता है, विश्‍व के सामने आत्‍मविश्‍वास से बोलने में क्‍या जाता है। पीएम ने कहा कि आपने सोशल मीडिया पर देखा होगा, फुटपाथ पर झोपड़ी में रहने वाली मां भी बाहर दीया जलाकर बैठी है, हम उसकी भावनाओं का माखौल बना रहे हैं? उसका मजाक उड़ा रहे हैं, उन्‍होंने कहा कि विरोध करने के लिए कितने मुद्दे हैं और करना भी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए कि देश का मनोबल टूटे, पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना को नियंत्रण करने की तारीफ पूरी दुनिया ने की है।

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5. भारत में बढ़ रहा निवेश, बन रहा आत्मनिर्भर भारत

पीएम मोदी ने कहा “याद कीजिए, यहां इसी सदन का भाषण दो-तीन साल पहले का मैं सुन रहा था, मोबाइल कहां हैं, लोग डिजिटल ट्रांजेक्‍शंस कैसे करेंगे….आज हर महीने यूपीआई से चार लाख करोड़ के ट्रांजेक्‍शंस हो रहे हैं, जल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो… भारत हर क्षेत्र में अपनी क्षमता के साथ खड़ा है, सर्जिकल स्‍ट्राइक हो, एयर स्‍ट्राइक हो… दुनिया ने भारत का पराक्रम देखा है। विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज कोरोना से लड़ाई के उपायों का मजाक उड़ाया जा रहा है। इस विरोध के तरीके से देश का अपमान होता है, उन्होंने कहा कि देश आत्मनिर्भर पथ पर चल रहा है। मानव जाति के कल्याण के लिए वैक्सीन बनाई, भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चल रहा है। भारत को दुनिया ने तीसरा देश माना जो वैक्सीन लेकर आया है। पीएम मोदी ने कहा कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है, भारत में इस समय रिकॉर्ड निवेश हो रहा है, गरीब किसी की मदद का मोहताज नहीं रहेगा।