महाराष्ट्र में बाढ़, एनसीईआरटी पुस्तकों की कमी व बंगाल का नाम बदलने में देरी का मुद्दा उठा रास में

महाराष्ट्र में बाढ़, एनसीईआरटी पुस्तकों की कमी व बंगाल का नाम बदलने में देरी का मुद्दा उठा रास में

महाराष्ट्र में बाढ़, एनसीईआरटी पुस्तकों की कमी व बंगाल का नाम बदलने में देरी का मुद्दा उठा रास में
Modified Date: July 30, 2024 / 03:19 pm IST
Published Date: July 30, 2024 3:19 pm IST

नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) राज्यसभा में मंगलवार को सदस्यों ने महाराष्ट्र में कई जिलों में बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए उचित केंद्रीय सहायता और उत्तर प्रदेश के आगरा में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ की स्थापना की मांग की। इसके साथ ही सदस्यों ने पश्चिम बंगाल का नाम बदले जाने में देरी और एनसीईआरटी पुस्तकों की अनुपलब्धता पर चिंता जताई।

महाराष्ट्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्य मेधा विश्राम कुलकर्णी ने उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान कहा कि पुणे, कोल्हापुर और सतारा सहित कई जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और राज्य को मदद के लिए तत्काल केंद्रीय मदद की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि 15 मई से 25 जुलाई के बीच बाढ़ से संबंधित विभिन्न घटनाओं में 94 लोगों की मौत हुई है जबकि चार गायब हैं और 144 लोग घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावित इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त है।

 ⁠

कुलकर्णी ने कहा कि महाराष्ट्र के प्रभावित जिलों में हुए नुकसान के आकलन के लिए एक समिति गठित की जानी चाहिए और उसकी रिपोर्ट आने के बाद विशेष राहत पैकेज की घोषणा की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कई बड़े शहरों में अवैध निर्माण के चलते भी बाढ़ की स्थिति बनती है और कोई एजेंसी इसकी जिम्मेदारी नहीं लेती है।

कांग्रेस के विवेक तनखा ने नए शैक्षणिक सत्र में देश के कई राज्यों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पुस्तकों की कमी और इस वजह से छात्रों की शिक्षा पर पड़ रहे प्रभाव का मुद्दा उठाया।

उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ लखनऊ शहर में पांच लाख से अधिक छात्र एनसीईआरटी पुस्तकों की कमी का सामना कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि 10.22 लाख सरकारी और 82 हजार से अधिक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं। उन्होंने कहा कि 26 करोड़ छात्र 12वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं और इनमें से 12 करोड़ छात्र सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं।

तनखा ने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि देश में जैसे ब्लड बैंक हैं, उसी तरह किताबों का भी बैंक बनाया जाए।’’

उन्होंने सरकार से अपील की कि वह जल्द से जल्द छात्रों को पुस्तक उपलब्ध कराए ताकि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो।

समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक पीठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थापित किए जाने की वर्षों पुरानी मांग को उठाया। उन्होंने कहा कि इसके लिए लगातार आंदोलन किए गए लेकिन अभी तक यह मांग पूरी नहीं हो सकी है।

उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक पीठ स्थापित करने की मांग की।

तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने पश्चिम बंगाल का नाम बांग्ला करने संबंधी राज्य सरकार के प्रस्ताव को लागू करने में देरी का मुद्दा उठाया।

उन्होंने कहा कि विधानसभा से पारित यह प्रस्ताव विगत छह सालों से केंद्रीय गृह मंत्रालय में लंबित है।

उन्होंने कहा कि उड़ीसा को ओडिशा, मद्रास को चेन्नई और बंगलोर को बेंगलुरु कर दिया गया लेकिन पश्चिम बंगाल का नाम बदले जाने के मामले में देरी की जा रही है।

सेन ने कहा कि यह सरकार नाम बदलने में माहिर है लेकिन जब बात पश्चिम बंगाल की आती है तो वह कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल का नाम बदले जाने की मांग राज्य के लोगों की भावनाओं पर आधारित है।

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र अविनाश

अविनाश


लेखक के बारे में