झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पेसा अधिनियम के नियमों को सार्वजनिक करने की मांग की

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पेसा अधिनियम के नियमों को सार्वजनिक करने की मांग की

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पेसा अधिनियम के नियमों को सार्वजनिक करने की मांग की
Modified Date: December 30, 2025 / 08:53 pm IST
Published Date: December 30, 2025 8:53 pm IST

रांची, 30 दिसंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के वरिष्ठ नेता रघुवर दास ने मंगलवार को मांग की कि झारखंड सरकार ‘पंचायतों का अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार’ (पेसा) अधिनियम के नियमों को जल्द से जल्द सार्वजनिक करे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने संदेह जताया कि राज्य मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में पारित किए गए नियमों में पेसा अधिनियम, 1996 के कई मुख्य प्रावधानों की अनदेखी की गई हो सकती है।

दास ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘चूंकि स्वीकृत पेसा नियमों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, इसलिए मुझे संदेह है कि राज्य सरकार ने पेसा अधिनियम के कई मूल प्रावधानों को नजरअंदाज कर दिया है।’

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उन्होंने कहा कि पेसा अधिनियम, 1996 की धारा 4 (ए) के तहत स्पष्ट प्रावधान है कि पंचायतों के संबंध में बनाया गया कोई भी राज्य कानून पारंपरिक कानूनों, सामाजिक एवं धार्मिक प्रथाओं और सामुदायिक संसाधनों के पारंपरिक प्रबंधन के अनुकूल होगा, लेकिन राज्य सरकार ने स्वीकृत नियमों में ‘जानबूझकर इनकी अनदेखी की है’।

दास ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ग्राम सभा की अध्यक्षता आदिवासी रूढ़िगत परंपराओं का पालने करने वाले लोगों के लिए आरक्षित होगी या इसमें अन्य धर्म अपनाने वाले लोगों को भी अवसर दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि आदिवासी रूढ़िवादी व्यवस्था को खत्म करने के बजाय इसे कानूनी मान्यता देकर सशक्त बनाया जाना चाहिए, ताकि उनकी सांस्कृतिक पहचान, पारंपरिक न्याय प्रणाली और संसाधनों पर उनका नियंत्रण बरकरार रहे।’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पेसा अधिनियम के तहत गौण खनिजों, वन उपज, जल स्रोतों और अन्य सामूहिक संसाधनों पर अधिकार ग्राम सभाओं को देने का प्रावधान है।

हालांकि, राज्य सरकार के नियमों में यह देखना बाकी है कि क्या ये शक्तियां वास्तव में ग्राम सभाओं को दी गई हैं या सरकार इन पर अपना पूर्ण नियंत्रण रखना चाहती है।

भाषा सुमित संतोष

संतोष


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