पिथौरागढ़ के पूर्व पुलिस अधीक्षक हैं शिकायतकर्ता को ‘नग्न कर पीटने’ के दोषी:उत्तराखंड प्राधिकरण
पिथौरागढ़ के पूर्व पुलिस अधीक्षक हैं शिकायतकर्ता को 'नग्न कर पीटने' के दोषी:उत्तराखंड प्राधिकरण
देहरादून, 11 दिसंबर (भाषा) संयुक्त राष्ट्र में एक अहम पद संभालने के लिए हाल में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी लोकेश्वर सिंह को पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने पिथौरागढ़ जिले का पुलिस अधीक्षक रहते हुए एक शिकायतकर्ता को ‘नग्न कर उसके साथ मारपीट करने और उसे काफी देर तक कार्यालय में बिठाने’ का दोषी माना है तथा राज्य सरकार को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
छह फरवरी, 2023 को इस घटना के संबंध में प्राधिकरण ने राज्य सरकार को सिंह के विरूद्ध कार्यवाही करने के बाद उससे उसे अवगत कराने के निर्देश भी दिए हैं।
प्राधिकरण ने ये निर्देश लक्ष्मी दत्त जोशी की शिकायत पर दिये हैं। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि पिथौरागढ़ पुलिस लाइन के पास सड़क पर नाली से गंदे पानी के बहने की शिकायत लेकर जाने पर पुलिस अधीक्षक तथा उनके मातहतों ने उनके साथ मारपीट की जिससे उन्हें गंभीर चोटें आयीं।
न्यायमूर्ति एन एस धानिक की अध्यक्षता वाली प्राधिकरण की पीठ ने ये संस्तुतियां नौ दिसंबर को कीं।
शिकायत की सुनवाई के दौरान प्राधिकरण ने 2014 के पूर्व आईपीएस अधिकारी का पक्ष भी सुना। लोकेश्वर सिंह ने एक शपथपत्र के जरिए मारपीट के आरोपों से इनकार किया । उन्होंने कहा कि जोशी एक आपराधिक किस्म का व्यक्ति है और छह फरवरी को उसे वाहनों की आगजनी के एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन वह अपने खिलाफ लगे आरोपों के विरोध में कोई साक्ष्य भी उपलब्ध नहीं करा पाए ।
पिथौरागढ़ में रेडीमेड कपड़ों के व्यापारी और सूचना के अधिकार के (आरटीआई) कार्यकर्ता जोशी ने दावा किया कि पूर्व पुलिस अधिकारी 2021 में चंपावत में हुई एक घटना के समय से उनके साथ द्वेष रखते थे।
पिथौरागढ़ में उन्होंने बताया, ‘‘इस सबकी शुरूआत फरवरी 2021 में चंपावत से हुई जब मैं वहां रहने वाले अपने माता-पिता की पेयजल संबंधी समस्या को लेकर पेयजल निगम के कार्यालय गया था जहां शराब के नशे में बैठे कर्मचारियों की मैंने फोटो खींच ली थी।’’
उन्होंने बताया कि फोटो खींचे जाने से गुस्साए कर्मचारियों ने पुलिस को बुला लिया और चंपावत के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह के कहने पर उन पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए गुंडा अधिनियम समेत कई गंभीर प्रावधानों में मुकदमे दर्ज करा दिया गया ।
जोशी ने बताया कि उनका घर पिथौरागढ़ पुलिस लाइन के नजदीक है और वहां पुलिस क्वार्टरों से निकलने वाले गंदे पानी के सड़कों पर खुले में बहने की शिकायत उन्होंने पुलिस से की थी । उन्होंने बताया कि शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद वह पुलिस अधीक्षक के कार्यालय गए जहां लोकेश्वर सिंह उन्हें देखते ही नाराज हो गए और उन्हें अपशब्द बोलने लगे।
जोशी ने कहा, ‘‘लोकेश्वर सिंह ने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को उन्हें थप्पड़ मारने को कहा । थप्पड़ मारने से मेरा चश्मा भी टूट गया । उसके बाद पुलिस अधीक्षक ने कपड़े उतरवाकर मेरे साथ मारपीट की ।’’
उन्होंने कहा कि चूंकि वह एक आरटीआई कार्यकर्ता हैं, उन्होंने अपने साथियों को फोन किया जिनके हस्तक्षेप के बाद शाम को उन्हें छोड़ा गया ।
जोशी ने बताया कि वहां से वह मेडिकल परीक्षण के लिए जिला अस्पताल गए जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनके घावों के 24 घंटों के अंदर के ही पाए गए जिससे यह पुष्टि हुई कि ये पुलिस की पिटाई से ही लगे हैं ।
जोशी ने बताया कि सिंह की शिकायत प्राधिकरण में करने के साथ ही उन्होंने इस बारे में पिथौरागढ़ से लेकर देहरादून और दिल्ली तक के अधिकारियों को अवगत कराया था ।
प्राधिकरण के फैसले पर संतोष जाहिर करते हुए जोशी ने कहा कि लेकिन, न्याय पाने के इस संघर्ष के दौरान उनकी दुकान बंद हो गयी, घर को बेचना पड़ा तथा उनकी बेटी बीमार हो गयी ।
संयुक्त राष्ट्र में एक महत्वपूर्ण पद पर चयन के बाद लोकेश्वर सिंह ने इस साल अक्टूबर में नौकरी से इस्तीफा दे दिया है । उस दौरान वह पौड़ी के पुलिस अधीक्षक पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे ।
भाषा दीप्ति सं
राजकुमार
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