जी20 शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री मोदी ने यूएनएससी के विस्तार के लिए नए सिरे से जोर दिया |

जी20 शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री मोदी ने यूएनएससी के विस्तार के लिए नए सिरे से जोर दिया

जी20 शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री मोदी ने यूएनएससी के विस्तार के लिए नए सिरे से जोर दिया

:   Modified Date:  September 10, 2023 / 09:16 PM IST, Published Date : September 10, 2023/9:16 pm IST

(तस्वीरों के साथ)

नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के विस्तार और दुनिया की ‘‘नयी वास्तविकताओं’’ को प्रतिबिंबित करने के लिए सभी वैश्विक संस्थाओं में सुधारों पर नये सिरे से जोर दिया। जी20 शिखर सम्मेलन के समापन के साथ विश्व के नेताओं ने भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक के नतीजों की सराहना की।

समापन सत्र में मोदी ने जी20 की अध्यक्षता हस्तांतरित करते हुए ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा को पारंपरिक गेवल (एक प्रकार का हथौड़ा) सौंपा। ब्राजील आधिकारिक रूप से इस साल एक दिसंबर को जी20 समूह के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेगा।

लूला डी सिल्वा ने कहा कि यूएनएससी को राजनीतिक ताकत हासिल करने के लिये स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यों के रूप में नए विकासशील देशों की जरूरत है, जबकि विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में उभरते देशों को अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिये।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 में लिए गए फैसलों पर हुई प्रगति की समीक्षा के लिए नवंबर में एक डिजिटल सत्र के आयोजन का भी प्रस्ताव दिया।

मोदी ने कहा, ‘‘भारत के पास 30 नवंबर तक जी20 अध्यक्षता की जिम्मेदारी है। अभी ढाई महीने बाकी हैं। इन दो दिनों में, आप सभी ने अनेक बातें यहां रखी हैं, सुझाव दिए हैं, बहुत सारे प्रस्ताव रखे हैं। हमारी ये जिम्मेदारी है कि जो सुझाव आए हैं, उनको भी एक बार फिर देखा जाए कि उनकी प्रगति में गति कैसे लाई जा सकती है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘इसके साथ ही मैं जी20 शिखर सम्मेलन के समापन की घोषणा करता हूं।’’

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यूक्रेन संघर्ष पर जी20 नेताओं के घोषणापत्र (डिक्लेरेशन) का पाठ ‘‘विभाजित आम सहमति’’ के बजाय ‘‘समान राय वाली आम सहमति’’ है और यह संकट के समाधान का रास्ता दिखा सकता है।

जी20 शिखर सम्मेलन में भारत को शनिवार को एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी, जहां इस प्रभावशाली समूह ने 37 पृष्ठों के घोषणापत्र को सर्वसम्मति के साथ अपना लिया।

भारत ने घोषणापत्र में विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर ‘शत प्रतिशत’ आम सहमति हासिल की, जिसमें यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का उल्लेख करने से परहेज किया गया और सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के सिद्धांत का पालन करने का आह्वान किया गया।

जी20 शिखर सम्मेलन के ‘एक भविष्य’ सत्र में मोदी ने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि दुनिया को बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के लिए वैश्विक निकायों को आज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 51 सदस्यों के साथ हुई थी, तो दुनिया अलग थी और अब सदस्य देशों की संख्या लगभग 200 हो गई है।

मोदी ने कहा, ‘‘बावजूद इसके, यूएनएससी में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं। तब से आज तक दुनिया हर लिहाज से बहुत बदल चुकी है। परिवहन हो, संचार हो, स्वास्थ्य, शिक्षा, हर क्षेत्र का कायाकल्प हो चुका है। ये नयी वास्तविकताएं हमारी नयी वैश्विक संरचना में प्रतिबिंबित होनी चाहिए।’’

यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस शामिल हैं।

सुधारों की वकालत करते हुए मोदी ने कहा कि इसीलिए शनिवार को अफ्रीकी संघ को जी20 का सदस्य बनाकर एक ऐतिहासिक पहल की गई।

सूत्रों ने कहा कि भारत की जी20 की अध्यक्षता के साथ कई ठोस परिणाम सुनिश्चित होने के साथ, विश्व नेताओं ने उनके ‘‘निर्णायक नेतृत्व’’ और ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की।

‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल अक्सर विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि इस साल के जी20 शिखर सम्मेलन ने साबित कर दिया है कि यह समूह अपने सबसे अहम मुद्दों का अब भी समाधान निकाल सकता है।

शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए बाइडन, महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद वियतनाम रवाना हो गए।

बाइडन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जब वैश्विक अर्थव्यवस्था जलवायु संकट, नाजुक स्थिति और संघर्ष से जूझ रही है, ऐसे समय में इस साल के शिखर सम्मेलन ने साबित कर दिया कि जी20 अब भी हमारे सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान निकाल सकता है।’’

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी20 शिखर सम्मेलन कई मायनों में महत्वपूर्ण सम्मेलन है, क्योंकि इसके नतीजों ने दुनिया को कई चुनौतियों पर आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया और ‘ग्लोबल साउथ’ की ताकत और महत्व का प्रदर्शन किया।

प्रधानमंत्री मोदी के साथ दोपहर के भोजन पर बैठक के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संवाददाताओं से कहा कि मौजूदा विभाजित माहौल को देखते हुए, भारत ने जी20 अध्यक्ष के रूप में अच्छा प्रदर्शन किया है।

मैक्रों ने कहा कि जी20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत ने दुनिया को एकता और शांति का संदेश देने की पूरी कोशिश की, जबकि रूस अब भी यूक्रेन के खिलाफ अपना आक्रमण जारी रखे हुए है।

उन्होंने शिखर सम्मेलन के समापन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा विभाजित माहौल को देखते हुए भारत ने जी20 अध्यक्ष के रूप में अच्छा काम किया है।

एक सूत्र ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के हवाले से कहा, ‘‘भारत के नेतृत्व में, हमने प्रदर्शित किया है कि हम ऐसे समय में एक साथ आ सकते हैं जब ऐसा वास्तव में जरूरी है।’’

सूत्रों ने बताया कि शिखर सम्मेलन के दौरान जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने जी20 का ‘बेहतर नेतृत्व’ प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की जबकि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जी20 सहयोग को मजबूत करने का आह्वान किया।

सूत्रों के अनुसार, कई नेताओं ने ‘‘ग्लोबल साउथ की आवाज को आगे बढ़ाने’’ के लिए प्रधानमंत्री की प्रशंसा की और अफ्रीकी संघ (एयू) को जी 20 समूह का सदस्य बनाने संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय की सर्वसम्मति से सराहना की।

रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने प्रेस वार्ता में कहा कि भारत ने यूक्रेन सहित कई मुद्दों पर पश्चिमी देशों को अपना दृष्टिकोण आगे बढ़ाने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, ‘‘यह कई मायनों में महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन है। यह हमें कई मुद्दों पर आगे बढ़ने का रास्ता प्रदान करता है।’’

लावरोव ने कहा कि नयी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन ने वैश्विक प्रशासन और वैश्विक वित्त में निष्पक्षता की दिशा में भी एक दिशा प्रदान की है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं जी20 के राजनीतिकरण के प्रयासों को रोकने के लिए भारत के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूं। पश्चिमी देशों का आधिपत्य नहीं कायम हो पाएगा, क्योंकि हम दुनिया में सत्ता के नये केंद्र उभरते हुए देख रहे हैं।’’

सूत्रों ने कहा कि जी20 सत्र और द्विपक्षीय बैठकों के दौरान, कई नेताओं ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों की सराहना की और उनकी पहल को समर्थन दिया।

समापन समारोह को संबोधित करते हुए ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने कहा कि भू-राजनीतिक मुद्दों को जी20 में चर्चा पर हावी नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि समूह को “विभाजित जी20” में कोई दिलचस्पी नहीं है और आज की चुनौतियों का सामना संयुक्त कार्रवाई के जरिए ही किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, “हमें संघर्ष के बजाय शांति और सहयोग की जरूरत है।”

अगला जी20 शिखर सम्मेलन नवंबर, 2024 में रियो डी जनेरियो में होगा।

भाषा

देवेंद्र पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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