‘सोना तस्करी स्पष्ट रूप से सीमा शुल्क अधिनियम के तहत आती है, आतंकी गतिवधि के तहत नहीं’

'सोना तस्करी स्पष्ट रूप से सीमा शुल्क अधिनियम के तहत आती है, आतंकी गतिवधि के तहत नहीं'

‘सोना तस्करी स्पष्ट रूप से सीमा शुल्क अधिनियम के तहत आती है, आतंकी गतिवधि के तहत नहीं’
Modified Date: November 29, 2022 / 08:55 pm IST
Published Date: February 20, 2021 10:32 am IST

कोच्चि, 20 फरवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने एक विशेष एनआईए अदालत के आदेश के खिलाफ जांच एजेंसी की अपील खारिज करते हुए कहा है कि सोना तस्करी का मामला स्पष्ट रूप से सीमा शुल्क अधिनियम के प्रावधानों के तहत आता है और यह ‘आतंकवादी गतिविधि’ की परिभाषा के दायरे में नहीं आता है।

न्यायमूर्ति ए हरिप्रसाद और न्यायमूर्ति एम आर अनिता की खंडपीठ ने दूतावासों को भेजे जानी वाली सामग्री के जरिए सोने की तस्करी करने के 10 आरोपियों को सशर्त जमानत देते हुए यह टिप्पणी की।

अदालत ने कहा कि सोना तस्करी स्पष्ट रूप से सीमा शुल्क अधिनियम के प्रावधानों के तहत आती है और यह गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 15 (1)(ए) के अंदर आतंकवादी कृत्य के तहत तब तक नहीं आती है, जब तक कि इस बारे में साक्ष्य पेश नहीं किया जाता है कि इस गतिविधि का मकसद देश की आर्थिक या मौद्रिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करना है।

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विशेष राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत ने कहा कि ‘तस्करी’ शब्द का अभिप्राय विभिन्न वस्तुओं के अवैध परिवहन से है। इसलिए, इस संबंध में एनआईए की दलील स्वीकार नहीं की जा सकती।

विशेष एनआईए अदालत के आदेश का जिक्र करते हुए उच्च न्यायालय ने 18 फरवरी के अपने आदेश में कहा कि रिकार्ड में मौजूद साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया यह संकेत नहीं मिलता है कि जिन आरोपियों को जमानत दी गई है, उन्होंने भारत की आर्थिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से यह गतिविधि की थी।

गौरतलब है कि विशेष एनआईए अदालत ने पिछले साल 15 अक्टूबर को केरल सोना तस्करी मामले के 10 आरोपियों को सशर्त जमानत देते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो यह प्रदर्शित करता हो कि उनके किसी आतंकी संगठन से संबंध हैं।

एनआईए तिरूवनंतपुरम हवाईअड्डे पर पांच जुलाई को 14.82 करोड़ रुपये मूल्य के 30 किग्रा सोना जब्त किये जाने के मामले की जांच कर रही है।

भाषा

सुभाष पवनेश

पवनेश


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