चंडीगढ़, नौ सितंबर (भाषा) हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार पिछले महीने किसानों एवं पुलिस के बीच हुए संघर्ष की जांच के लिए तैयार है लेकिन यदि किसान नेता दोषी पाये गये तो उन पर भी कार्रवाई हो सकती है।
विज ने, 28 अगस्त को हुए लाठीचार्ज के संबंध में कार्रवाई की मांग को लेकर करनाल जिला मुख्यालय के बाहर आज तीसरे दिन भी किसानों का धरना जारी रहने के बीच, ‘‘पूरे करनाल प्रकरण’’ की निष्पक्ष जांच की पेशकश की।
किसानों की मुख्य मांग आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा से संबंधित है। तत्कालीन एसडीएम सिन्हा को किसानों के 28 अगस्त के प्रदर्शन के दौरान एक टेप में पुलिसकर्मियों को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि अगर प्रदर्शनकारी सुरक्षा तोड़ते हैं तो उनका ‘‘सिर फोड़ देना’’। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक बैठक स्थल की ओर मार्च करने की कोशिश के दौरान पुलिस के साथ झड़प में करीब 10 प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे।
मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि ‘‘किसी को भी जांच के बिना सिर्फ इसलिए सूली पर नहीं चढ़ाया जा सकता कि कोई इसकी मांग कर रहा है।’’ विज ने अंबाला में पत्रकारों से कहा, ‘‘हम निष्पक्ष जांच के लिए तैयार हैं लेकिन यह केवल करनाल के पूर्व एसडीएम आयुष सिन्हा से ही संबंधित नहीं होगी बल्कि पूरे करनाल प्रकरण से जुड़ी होगी। इस जांच में अगर किसान या उनके नेता दोषी पाए गए तो उचित कार्रवाई की जाएगी।’’
बहरहाल, मंत्री ने कहा, ‘‘करनाल में प्रदर्शन कर रहे किसानों की केवल जायज मांगों को ही स्वीकार किया जा सकता है।’’
उन्होंने आईएएस अधिकारी के निलंबन की मांग का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ हम किसी को इसलिए सूली पर नहीं चढ़ा सकते कि किसी ने ऐसा करने के लिए कहा है…क्या देश की भारतीय दंड संहिता और किसानों की भारतीय दंड संहिता अलग अलग है? ऐसा नहीं हो सकता और सजा हमेशा अपराध के अनुसार दी जाती है। अपराध का पता लगाने के लिए जांच होती है।’’
करनाल में प्रदर्शन कर रहे किसानों के बारे में विज ने कहा कि किसी को भी शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, ‘‘किसान करनाल में प्रदर्शन कर रहे हैं जो उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। हमारे अधिकारी नियमित तौर पर उनके साथ बातचीत कर रहे हैं। संवाद किसी भी लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा है।’’
इस बीच, करनाल के उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग का हवाला देते हुए कहा , ‘‘ मुख्य सचिव के आदेश पर इस मामले की जांच की जा रही है । रिपोर्ट मिलने के बाद उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि यदि किसान जांच प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि यदि वे चाहते हैं कि इस मामले की जांच किसी अन्य स्तर पर की जाए तो उस मांग पर भी विचार किया जा सकता है।
उपायुक्त ने किसानों से वार्ता के माध्यम से हल ढूंढने में सहयोग करने की भी अपील की है। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ वार्ता के स्थान का विकल्प प्रशासन ने खुला रखा है।
उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन धरना खत्म करने के लिए लगातार अपील कर रहा है और जिले में कानून व्यवस्था ठीक है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले कहा था कि सिन्हा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को कहा कि वे भावी कार्ययोजना तय करने के लिए 11 सितंबर को एक बैठक करेंगे।
किसान नेता जगदीप सिंह औलख ने करनाल में संवाददाताओं से कहा कि वे तभी प्रदर्शन बंद करेंगे जब आईएएस अधिकारी के विरूद्ध मामला दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो शीघ्र ही एक ‘ बड़ा फैसला’’ किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘ यदि सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो हम कड़ा निर्णय लेंगे और पूरे हरियाणा को बंद कर देंगे। ’’
एसकेएम ने किसानों को कथित रूप से कार्रवाई की धमकी देने को लेकर विज के बयान की भी निंदा की। उसने एक बयान में कहा, ‘‘ हरियाणा सरकार अपने किसान विरोधी एजेंडे को लेकर बेनकाब हो गयी है। उसने शुरू से ही किसान आंदोलन को बाधित करने का प्रयास किया और किसानों एवं कृषक नेताओं पर मामले दर्ज किये। वह उस अधिकारी को बढ़ावा देती है जिन्होंने किसानों का सिर फोड़ने का आदेश दिया। सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार करती है।’’
राज्य के गृह विभाग ने एक आदेश में कहा कि हरियाणा सरकार ने बृहस्पतिवार आधी रात तक जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं का निलंबन बढ़ा दिया है।
आदेश में कहा गया है, ‘‘करनाल जिले में नौ सितंबर को मोबाइल इंटरनेट सेवाएं सुबह सात बजे से रात 12 बजे तक निलंबित रहेंगी।’’
करनाल में पिछले महीने पुलिस के लाठीचार्ज पर जिला अधिकारियों और प्रदर्शनरत किसानों के बीच बुधवार को एक अन्य दौर की वार्ता विफल रही। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे जिला मुख्यालय पर अपना धरना ‘‘अनिश्चितकाल’’ तक जारी रखेंगे। धरने के तीसरे दिन प्रदर्शनकारी करनाल में लघु सचिवालय के द्वार पर जमे हुए हैं । वैसे किसान नेताओं ने कहा है कि अधिकारियों एवं आम लोगों को कार्यालय जाने से नहीं रोका जाएगा।
शहर में महापंचायत हुई थी और तब मंगलवार को धरना शुरू हुआ था। उससे पहले जिला अधिकारियों एवं किसान नेताओं के बीच हुई वार्ता विफल रही थी। किसान संघ के नेताओं ने करनाल में लाठीचार्ज में शामिल लोगों के विरूद्ध मामला दर्ज करने की मांग की थी।
प्रदर्शनकारी नेताओं ने यह भी दावा किया था कि 28 अगस्त की हिंसा में एक किसान की जान भी चली गयी थी जबकि प्रशासन ने इस दावे को खारिज कर दिया। किसान नेताओं ने कथित तौर पर मारे गए किसान के परिवार के लिए 25 लाख रूपये मुआवजे एवं एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की भी मांग की।
इस बीच करनाल रेंज की पुलिस महानिरीक्षक ममता सिंह ने पुलिस अधीक्षक गंगाराम पूनिया एवं अन्य अधिकारियों के साथ बृहस्पतिवार को धरनास्थल का दौरा किया।
भाषा राजकुमार नरेश
नरेश
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