Supreme Court Latest News: ‘ब्रेस्ट पकड़ना या पजामे का नाड़ा तोड़ना अपराध नहीं’.. यहां के हाईकोर्ट की टिप्पणी पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, अब दे दिया ये अहम निर्देश
'ब्रेस्ट पकड़ना या पजामे का नाड़ा तोड़ना अपराध नहीं'.. 'Grabbing breasts or breaking pyjama strings is not a crime', enraged Supreme Court
Supreme Court Latest News. Image Source- IBC24 Archive
नई दिल्लीः Supreme Court Latest News देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर नाराजगी जताई है, जिसमें कहा गया था कि ‘पायजामा का नाड़ा तोड़ना और ब्रेस्ट पकड़ना रेप के प्रयास के आरोप के लिए पर्याप्त नहीं है।’ सुप्रीम कोर्ट देश भर के हाई कोर्ट के लिए व्यापक दिशानिर्देश बनाने की तैयारी में है। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की अदालतों में रेप और यौन अपराध के मामलों में दिए जा रहे विवादित और महिला-विरोधी आदेशों पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि वह सभी हाई कोर्ट के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेप और यौन अपराध जैसे संवेदनशील मामलों में अदालतों को बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। पीठ ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित आदेश पर स्टे जारी रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए गहरी चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने माना कि जिस तरह से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी के कृत्यों को तकनीकी आधार पर “कम गंभीर” बताया, वह न्यायिक औचित्य के खिलाफ है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, हम व्यापक दिशानिर्देश जारी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्यायिक प्रक्रिया में कुछ हद तक संवेदनशीलता बनी रहे। अदालतों को, और खास तौर पर हाईकोर्ट्स को ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों से बचना चाहिए जो समाज में गलत संदेश देती हों और पीड़ित के दर्द को कम करके आंकती हों। यह मामला केवल एक फैसले को पलटने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक नजीर (Precedent) बनाने का फैसला किया है। कोर्ट का मानना है कि यौन उत्पीड़न के मामलों में अगर जज शारीरिक संपर्क की बारीकियों को लेकर असंवेदनशील व्याख्या करेंगे, तो इसका सीधा असर न्याय प्रणाली पर जनता के भरोसे पर पड़ेगा।
जनवरी 2022 का मामला, मां की शिकायत पर कोर्ट ने एक्शन लिया
Supreme Court Latest News यूपी के कासगंज की एक महिला ने 12 जनवरी, 2022 को कोर्ट में एक शिकायत दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया कि 10 नवंबर, 2021 को वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ कासगंज के पटियाली में देवरानी के घर गई थी। उसी दिन शाम को अपने घर लौट रही थी। रास्ते में गांव के रहने वाले पवन, आकाश और अशोक मिल गए। पवन ने बेटी को अपनी बाइक पर बैठाकर घर छोड़ने की बात कही। मां ने उस पर भरोसा करते हुए बाइक पर बैठा दिया, लेकिन रास्ते में पवन और आकाश ने लड़की के प्राइवेट पार्ट को पकड़ लिया। आकाश ने उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करते हुए उसके पायजामे की डोरी तोड़ दी। लड़की की चीख-पुकार सुनकर ट्रैक्टर से गुजर रहे सतीश और भूरे मौके पर पहुंचे। इस पर आरोपियों ने देसी तमंचा दिखाकर दोनों को धमकाया और फरार हो गए। पीड़ित की मां की शिकायत पर आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ IPC की धारा 376, 354, 354B और POCSO एक्ट की धारा 18 के तहत केस दर्ज किया गया। वहीं आरोपी अशोक पर IPC की धारा 504 और 506 के तहत केस दर्ज किया। आरोपियों ने समन आदेश से इनकार करते हुए हाईकोर्ट के सामने रिव्यू पिटीशन दायर की। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच ने क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन स्वीकार कर ली थी।
हाईकोर्ट ने बदल दी थी धारा
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने ये फैसला सुनाते हुए 2 आरोपियों पर लगी धाराएं बदल दीं। वहीं 3 आरोपियों के खिलाफ दायर क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन स्वीकार कर ली थी। हाईकोर्ट ने आरोपी आकाश और पवन पर IPC की धारा 376 (बलात्कार) और POCSO अधिनियम की धारा 18 के तहत लगे आरोपों को घटा दिया और उन पर धारा 354 (b) (कपड़े उतारने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और POCSO अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलेगा। साथ ही निचली अदालत को नए सिरे से समन जारी करने का निर्देश दिया था।
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