गुजरात: विराट के संग्रहालय बनने की उम्मीदें क्षीण पड़ने लगीं

गुजरात: विराट के संग्रहालय बनने की उम्मीदें क्षीण पड़ने लगीं

गुजरात: विराट के संग्रहालय बनने की उम्मीदें क्षीण पड़ने लगीं
Modified Date: November 29, 2022 / 08:29 pm IST
Published Date: October 25, 2020 6:44 am IST

अहमदाबाद, 25 अक्टूबर (भाषा) सेवा से बाहर हो चुके युद्धपोत ‘विराट’ के संग्रहालय बनने की उम्मीदें क्षीण पड़ने लगी हैं क्योंकि इसे तोड़ने के लिए खरीदने वाली कंपनी ने करीब तीन सप्ताह की प्रतीक्षा के बाद पोत को गुजरात के अलंग स्थित अपने कबाड़ (स्क्रैप) यार्ड की ओर ले जाना शुरू कर दिया है।

मुंबई की निजी कंपनी इनवीटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ने पिछले महीने ‘विराट’ को संग्रहालय में बदलने की इच्छा जताई थी लेकिन रक्षा मंत्रालय से इस संबंध में कंपनी को अब तक अनापत्ति प्रमाण पत्र (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) नहीं मिला है।

इस युद्धपोत को भारतीय नौसेना में 1987 में शामिल किया गया था और यह 2017 तक सेवा में रहा। इस साल जुलाई में जहाज को तोड़ने का काम करनेवाली अलंग की कंपनी श्रीराम ग्रुप ने इसे 38.54 करोड़ रुपये में खरीदा था।

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कंपनी के अध्यक्ष मुकेश पटेल ने शनिवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ हमने विराट को अपने यार्ड की तरफ ले जाना शुरू कर दिया है यह समुद्र में 3,000 फुट की दूरी पर था, जिसे अब निकट लाया गया है। अब भी यह 1,500 फुट की दूरी पर है।’’

उन्होंने बताया कि इसे और नजदीक खींचने का काम अगले उच्च ज्वार के समय किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसे खरीदकर संग्रहालय में तब्दील करने की इच्छा जतानेवाली कंपनी अब भी रक्षा मंत्रालय से एनओसी नहीं हासिल कर पाई है और वे अभी उस पर काम कर रहे हैं।

पटेल ने कहा, ‘‘ कंपनी ने हमसे पूछा कि क्या इस जहाज को नुकसान से बचाया जा सकता है तो हमने जवाब दिया कि नवीनतम तकनीक से यह संभव है लेकिन यह मुश्किल भरा काम है और महंगा भी है।’’

इस संबंध में इनवीटेक मरीन के प्रबंध निदेशक वी के शर्मा की टिप्पणी नहीं मिल सकी। ‘विराट’ दुनिया का सबसे लंबे समय तक सेवा देनेवाला जहाज है और भारत में यह दूसरा ऐसा जहाज है जिसे नष्ट किया जाएगा। इससे पहले 2014 में ‘विक्रांत’ को मुंबई में तोड़ा गया था। यह जहाज पहले ब्रिटेन की नौसेना में नवंबर 1959 से अप्रैल 1984 तक सेवा में था। बाद में इसकी मरम्मत व मजबूती प्रदान कर इसे भारतीय नौसेना में 1987 में शामिल किया गया।

भाषा स्नेहा अविनाश

अविनाश


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