ज्ञानवापीः मुस्लिम पक्ष ने दी दलील, किसी धार्मिक स्थल की स्थिति बदलने की मांग नहीं की जा सकती

ज्ञानवापीः मुस्लिम पक्ष ने दी दलील, किसी धार्मिक स्थल की स्थिति बदलने की मांग नहीं की जा सकती

ज्ञानवापीः मुस्लिम पक्ष ने दी दलील,  किसी धार्मिक स्थल की स्थिति बदलने की मांग नहीं की जा सकती
Modified Date: November 29, 2022 / 08:07 pm IST
Published Date: July 26, 2022 10:51 pm IST

प्रयागराज, 26 जुलाई (भाषा) वाराणसी के काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले की इलाहाबाद उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान मंगलवार को मस्जिद पक्ष के वकील एसएफए नकवी ने दलील दी कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा-4 के प्रावधानों के तहत किसी धार्मिक स्थल की स्थिति बदलने की मांग नहीं जा सकती है।

नकवी ने कहा कि यह प्रावधान 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र बदलने के संबंध में किसी तरह का वाद दायर करने या कानूनी कार्यवाही से रोकता है।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार से 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थल के संबंध में कोई दावा नहीं किया जा सकता है।

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नकवी ने अपनी दलील में आगे कहा कि यदि यदि किसी वाद की पोषणीयता के बारे में आपत्ति उठाते हुए किसी स्तर पर कोई अर्जी दायर की गई है, तो सबसे पहले उस पर निचली अदालत द्वारा निर्णय किया जाना आवश्यक है और उसके बाद ही उक्त वाद पर आगे सुनवाई होनी चाहिए।

न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले की सुनवाई तीन अगस्त, 2022 तक के लिए टाल दी। यह वाद वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद द्वारा दायर किया गया है, जिसने वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती दी है।

वाराणसी की जिला अदालत में यह वाद दायर कर उस जगह पर जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है, प्राचीन मंदिर को बहाल किए जाने की मांग की गई है। मुकदमे में यह दलील दी गई है कि उक्त मस्जिद, मंदिर का हिस्सा है।

भाषा राजेंद्र धीरज

धीरज


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