हरियाणा में किसान डीएपी उर्वरकों की कमी से जूझ रहे: विपक्षी नेताओं का दावा

हरियाणा में किसान डीएपी उर्वरकों की कमी से जूझ रहे: विपक्षी नेताओं का दावा

हरियाणा में किसान डीएपी उर्वरकों की कमी से जूझ रहे: विपक्षी नेताओं का दावा
Modified Date: October 30, 2024 / 04:43 pm IST
Published Date: October 30, 2024 4:43 pm IST

भिवानी(हरियाणा), 30 अक्टूबर (भाषा) हरियाणा में विपक्षी कांग्रेस के नेताओं और किसान कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि राज्य के कुछ जिलों में डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक की कमी है, लेकिन प्रदेश सरकार इस समस्या का हल करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने में विफल रही है।

राज्य में कुछ स्थानों पर उर्वरक के लिए किसानों की लंबी कतारें देखने को मिली और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को भी बुलाना पड़ा।

कांग्रेस महासचिव और सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश सरकार समय रहते उपयुक्त कदम उठाने में विफल रही है।

 ⁠

उन्होंने आरोप लगाया कि सरसों, गेहूं और कुछ अन्य फसलों की खेती के लिए आवश्यक डीएपी उर्वरक की कमी के कारण किसानों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है और फिर भी उन्हें अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक नहीं मिल पा रहा।

शैलजा ने कहा कि कई जगहों पर स्थिति गंभीर हो गई है और किसानों को विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि कृषि कार्य में यूरिया के बाद डीएपी सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है।

डीएपी में नाइट्रोजन और फास्फोरस होता है, जो सरसों, गेहूं व कुछ अन्य फसलों के लिए प्राथमिक पोषक तत्व हैं।

लोहारू के किसान कार्यकर्ता दयानंद पूनिया ने आरोप लगाया, “यह सरसों की बुवाई का मौसम है और डीएपी की कमी है। सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की।”

उन्होंने कहा, “कुछ दिन पहले भिवानी जिले के तोशाम थाने के बाहर किसान लंबी कतारों में खड़े थे। पुलिस ने हालात को संभाला और किसानों को पर्चियां बांटी, जिनके जरिये वे डीएपी उर्वरक ले सकते थे।”

पूनिया ने बुधवार को फोन पर कहा, “यह स्थिति केवल तोशाम तक ही सीमित नहीं है। चूंकि सरसों की फसल की बुवाई का मौसम है इसलिए पड़ोसी जिलों में भी कुछ स्थानों, कुछ सहकारी समितियों पर किसानों की लंबी कतारें देखी गईं, जिसके बाद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा।”

उन्होंने डीएपी के पर्याप्त भंडार होने के सरकार के दावों के बारे में पूछे जाने पर कहा, “अगर डीएपी को पुलिस थानों के माध्यम से वितरित करना पड़ रहा है तो आप स्थिति की कल्पना कर सकते हैं।”

पूनिया ने कहा, “डीएपी की एक बोरी की कीमत 1,350 रुपये है, जो सरकारी दर है।”

उन्होंने कहा कि निजी वितरण केंद्रों पर भी उर्वरक की कमी है।

पूनिया ने कहा कि अगले महीने गेहूं की बुवाई शुरू होने के बाद डीएपी की मांग और बढ़ेगी।

हालांकि, विपक्षी नेताओं के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए हरियाणा सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में यूरिया और डीएपी के पर्याप्त भंडार हैं।

भाषा जितेंद्र सुभाष

सुभाष


लेखक के बारे में