नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से मंगलवार को कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी में जमीन का सर्वेक्षण करने के लिए एजेंसी को अंतिम रूप दें और इस कार्य को पूरा करने की समयसीमा बताएं।
अदालत का आदेश दिल्ली में अनधिकृत निर्माण से संबंधित एक याचिका पर आया। इन अनधिकृत निर्माणों में केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के पास के क्षेत्र में निर्माण भी शामिल हैं।
एमसीडी की ओर से पेश वकील ने बताया कि इस मुद्दे के संबंध में एमसीडी आयुक्त और डीडीए उपाध्यक्ष के बीच एक बैठक हुई और यह निर्णय लिया गया कि दिल्ली में उनकी संबंधित भूमि का सर्वेक्षण किया जाए ताकि उनकी स्थिति का पता लगाया जा सके और किसी भी बदलाव का पता लगाने के लिए हर छह महीने में उसका दोबारा दौरा किया जाएगा।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी स अरोड़ा की पीठ ने कहा, ‘एमसीडी और डीडीए दोनों को उस एजेंसी को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया जाता है जिससे दिल्ली का सर्वेक्षण कराया जाना है और एक समयसीमा प्रदान करें कि यह कब पूरा होगा।’
सुनवाई के दौरान अदालत ने सुझाव दिया कि अधिकारियों द्वारा वन क्षेत्रों सहित पूरे शहर का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।
एमसीडी के वकील ने बताया कि प्रत्येक एजेंसी अपनी जमीन के लिए जिम्मेदार है और इस कवायद को अन्य भूमि मालिक एजेंसियों द्वारा भी दोहराया जा सकता है।
वकील ने कहा, ‘हम पूरे क्षेत्र का नक्शा बनाने जा रहे हैं जो एमसीडी, डीडीए के दायरे में आता है। हम उस पर नज़र रखेंगे और हर छह महीने में इसका दोबारा निरीक्षण करेंगे ताकि निर्माण में कोई भी बदलाव हो तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।’
उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में उपग्रह तस्वीर, डिजिटल मानचित्र और ड्रोन सर्वेक्षण जैसी नयी तकनीक पर गौर किया गया और एमसीडी और डीडीए भूमि का सर्वेक्षण भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा करने का प्रस्ताव दिया गया।
मामले की अगली सुनवाई दो जुलाई को होगी।
भाषा अमित माधव
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