मुसलमानों में ‘तलाक-ए-हसन’ की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई

मुसलमानों में ‘तलाक-ए-हसन’ की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई

मुसलमानों में ‘तलाक-ए-हसन’ की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई
Modified Date: November 29, 2022 / 08:19 pm IST
Published Date: June 16, 2022 9:43 pm IST

नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय मुसलमानों में ‘तलाक-ए-हसन’ की प्रथा की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।

‘तलाक-ए-हसन’ मुसलमानों में प्रचलित ‘तीन तलाक’ के विभिन्न प्रारूपों में से एक है। इस प्रथा के तहत मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन महीने तक हर महीने एक बार ‘तलाक’ बोलकर तलाक दे सकता है। नयी याचिका में इस प्रथा को चुनौती दी गयी है।

न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अवकाशकालीन पीठ ने याचिकाकर्ता बेनजीर हीना की ओर से पेश अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की इस दलील पर गौर किया कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है।

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वकील अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिका में यह कहते हुए इस प्रथा को असंवैधानिक करार देने की मांग की गयी है कि यह अतार्किक, मनमाना और समानता, जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार सहित विभिन्न मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

उपाध्याय ने तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के पति द्वारा 19 जून को बोला जाना वाला तीसरा ‘तलाक’ इस (तलाक-ए-हसन की) प्रक्रिया को पूरा कर देगा। पीठ ने याचिका की त्वरित सुनवाई के लिए शुक्रवार की तारीख मुकर्रर की।

याचिका में लिंग और धर्म-तटस्थ प्रक्रिया और तलाक के आधार पर दिशा-निर्देश भी मांगे गए हैं।

भाषा

सुरेश उमा

उमा


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सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।