Hijab Controversy : हाई कोर्ट के फैसले में नहीं हुआ कोई बदलाव, SC जज ने कही ये बात… जानें
Hijab Controversy: There was no change in the High Court's decision, हाई कोर्ट के फैसले में नहीं हुआ कोई बदलाव
Hijab Controversy SC 10th Day नई दिल्ली: कर्नाटक का हिजाब विवाद अब सुप्रीम कोर्ट आ पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट में आज हिजाब विवाद में 10 दिन की सुनवाई खत्म हो गई है। लेकिन अभी तक कोई निष्कर्स सामने नही आया है। कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट में बरकरार है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्कूल कॉलेज छोड़ अन्य स्थानों पर हिजाब पहनने के लिए बात कही थी। जिसको ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के वर्ग नें आर्टिकल 25 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। आज दसवे दिन भी फैसला बरकरार रहा है।
16 अक्टूबर से पहले आ सकता है फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट के राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार करने के निर्णय को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने दस दिन की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा है। अब सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में तय करेगा कि कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा दिया गया फैसला सही है या नहीं। हालांकि, 16 अक्टूबर को जस्टिस हेमंत गुप्ता रिटायर हो रहे हैं, इसलिए माना जा रहा है कि हिजाब बैन मामले फैसला इससे पहले आने की उम्मीद है।
कुरान के हर शब्द को मानना आवश्यक नहीं है।
कर्नाटक सरकार ने पिछली सुनवाई में कहा में कहा था कि कुरान एक धार्मिक किताब है, जिसके सारे शब्दो का पालन किया जाए ये आवश्यक नहीं है। कर्नाटक सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि पीएफआई ने सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू किया था जिसका मकसद ‘लोगों की धार्मिक भावनाओं’ के आधार पर आंदोलन शुरू करना था। हालाकि आज के देश के कई राज्यों में ईडी और एनआईए की पीएफआई को लेकर रेड जारी है।
हाई कोर्ट का फैसला बरकरार
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद को लेकर दस दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है। जिसमें अलग अलग बातें सामने आई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि हिजाब का पढ़ाई वाले संस्थानों में अन्य छात्रों के मन में एक अलग भावना उत्पन्न करता है। जिसको लेकर धार्मिक कट्टरता बढ़ती है। आज का मुद्दा आर्टिकल 19 ए के तहत उठाया गया था। जिसका मतबह बोलने की आजादी को लेकर है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हां यह मौलिक अधिकार है लेकिन इसका दुरुपयोग करने पर छीना भी जा सकता है। इसके बाद आज की अदालत स्थिगित कर दी गई

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