Train Bed Sheet Wash: ट्रेन में मिलने वाले कंबल-चादर की महीने में कितनी बार होती है धुलाई? रेल मंत्री का जवाब सुनकर पैरों तले खिसक जाएगी जमीन
Train Bed Sheet Wash: ट्रेन में मिलने वाले कंबल-चादर की महीने में कितनी बार होती है धुलाई? रेल मंत्री का जवाब सुनकर पैरों तले खिसक जाएगी जमीन
रेल में दिए जाने वाले कंबलों की धुलाई महीने में कम से कम एक बार की जाती है! Image Source: Indian Railways Reddit
नई दिल्ली: How often are train blankets washed भारतीय रेल दुनिया की सबसे लंबी रेल लाइन मानी जाती है। यहां रोजाना करोड़ों लोग ट्रेन में सफर करते हैं। रेल यात्रा के दौरान एसी में सफर करने वाले यात्रियों को फ्री में कंबल और चादर दिए जाते हैं ताकि यात्रा के दौरान उन्हें कोई दिक्कत न हो। लेकिन कई बार इन कंबल और चादरों के गंदा होने पर यात्रियों और अटेंडर को लेकर विवाद होते देखा जाता है। अक्सर ये बात सामने आती है कि ट्रेनों में कंबल और चादरों की धुलाई किए बिना ही यात्रियों को उपयोग के लिए दे दिया जाता है। अगर आपके मन में भी ये सवाल है कि ट्रेनों में कंबल और चादर की धुलाई कितने बार होती है? तो चलिए जानते हैं केंद्रीय रेल मंत्री ने सदन में क्या जवाब दिया।
How often are train blankets washed दरअसल गंगानगर से सांसद कुलदीप इंदौरा ने रेल मंत्री से सवाल करते हुए पूछा था कि क्या कंबल या ब्लैंकेट को महीने में केवल एक बार ही धोया जाता है जबकि यात्री तो बेसिक स्वच्छता स्टैंडर्ड को पूरा करने वाले बिस्तर के लिए भुगतान तो ही कर रहे हैं। कांग्रेस सांसद के इस सवाल के जवाब में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेल में सफर कर रहे लोगों को दिए जाने वाले कंबलों की धुलाई महीने में कम से कम एक बार की जाती है। इस सवाल का जवाब मंत्री वैष्णव ने लिखित जवाब पेश किया है।
अश्विनी वैष्णव बताया कि रजाई कवर के तौर पर इस्तेमाल के लिए बेडरोल किट में एक अतिरिक्त बेडशीट भी दी जाती है। अपने लिखित जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे में इस्तेमाल किए जाने वाले कंबल हल्के होते हैं और धोने में आसान होते हैं। इतना ही नहीं यह यात्रियों को आरामदायक यात्रा का एक्सपीरियंस भी देते हैं। रेल मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि नए कंबलों के बीआईस स्टैंडर्ड को भी बढ़ाया गया है। कंबलों की सफाई के लिए मशीनों और लिक्वविड का भी एक मानक तय किया गया है। इनसे जुड़ी हुई शिकायत के लिए रेलमदद पोर्टल को भी अपडेट किया गया है और वॉर रूम को भी स्थापित किया गया है।
रेल मंत्री ने यह भी कहा कि धुले हुए लिनेन की क्वालिटी की जांच के लिए व्हाइटो-मीटर का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि चादरों का जीवनकाल भी बेहद कम कर दिया गया है। अब जल्दी ही चादरों को चलन से बाहर कर दिया जाता है और नई चादरों को शामिल किया जा रहा है।

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