Atal Bihari Vajpayee : ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा..’ पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी का कैसा रहा राजनीतिक करियर? जोश से भरी होती थीं इनकी कविताएं
Atal Bihari Vajpayee : 'हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा..' पूर्व प्रधानमंत्री 'भारत रत्न' अटल बिहारी वाजपेयी का कैसा रहा राजनीतिक करियर? जोश से भरी होती थीं इनकी कविताएं
Atal Bihari Vajpayee Ka Political Career | Source : IBC24
Atal Bihari Vajpayee Ka Political Career : पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है। इस दिन को अटल बिहारी वाजपेयी की याद में ‘सुशासन दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संस्थापकों में से एक थे। जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री का तीन पर पद संभाला। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। वाजपेयी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में प्राप्त की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। वाजपेयी एक कुशल वक्ता, कवि और पत्रकार थे। जिन्होंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कविताएँ लिखी हैं।
राजनीतिक करियर
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता थे। जिनके राजनीतिक करियर की शुरुआत 1950 के दशक में हई। वाजपेयी की राजनीतिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण मोड़ आए। 1960 के दशक में, उन्होंने भारतीय जनसंघ के महासचिव के रूप में कार्य किया और 1977 में पहली बार लोकसभा के सदस्य बने। उनके करियर का एक महत्वपूर्ण क्षण 1996 में आया, जब वे पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनकी सरकार केवल 13 दिन तक चली। इसके बाद 1998 में, उन्होंने फिर से प्रधानमंत्री का पद संभाला और इस बार उनकी सरकार ने 13 महीने तक कार्य किया। 1999 में, उन्होंने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद ग्रहण किया और इस बार उनकी सरकार ने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण नीतियाँ लागू कीं, जैसे कि पोखरण-II परमाणु परीक्षण, आर्थिक सुधार और सूचना प्रौद्योगिकी में प्रगति। वाजपेयी ने विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न समितियों के अध्यक्ष, और विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य किया। उनकी विदेश नीति भी उल्लेखनीय थी, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता को बढ़ावा दिया और अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत किया। अटल बिहारी वाजपेयी को उनके विचारों, नेतृत्व और साहित्यिक योगदान के लिए जाने जाते है।
अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा किस्सा
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दिसंबर 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने दिल्ली मेट्रो के पहले कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। कॉरिडोर का उद्घाटन होने के एक दिन बाद लोगों की इतनी भीड़ थी कि यात्रियों को संभालने के लिए कागज के टिकट जारी करनी पड़ी थी वाजपेयी ने स्टेशन के अंदर जाने के लिए एक काउंटर से टिकट भी खरीदा था। खास बात ये रही की कार्यक्रम के मुख्य मेहमान और देश के प्रधानमंत्री होने के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद लाइन में लगकर मेट्रो का पहली टिकट खरीदी थी और फिर सफर किया था।
गुजरात के सीएम बनाने की बात छिड़ी तो वाजपेयी जी ने नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनने के लिए समर्थन दिया, जबकि कुछ लोग उनके खिलाफ थे। उन्होंने मोदी की क्षमता पर विश्वास किया और यह साबित हुआ कि उनका निर्णय सही था। वाजपेयी जी की सादगी और विनम्रता के किस्से भी प्रसिद्ध हैं। वे हमेशा आम लोगों के साथ मिलते थे और उनकी समस्याओं को सुनते थे। उनकी यह विशेषता उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाती थी।
अटल बिहारी वाजपेयी की कविता
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रात
प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूं
गीत नया गाता हूं
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं
2015 में दिया गया ‘भारत रत्न’
उन्हें साल 2015 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्हें भारत के प्रति निस्वार्थ समर्पण और समाज की सेवा के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। वाजपेयी की प्रतिभा और हाजिरजवाबी के कायल विपक्षी दलों के नेता भी थे। विनम्र स्वभाव से लोगों के दिलों में राज करने वाले अटलजी की नेतृत्व क्षमता अद्भुत थी। मोदी सरकार ने वाजपेयी जी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। उसके बाद से ही 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के रूप में मनाया जाता हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर कई नेता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में राजघाट स्थित ‘सदैव अटल’ स्मारक पहुंचे और पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जेपी धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी सदैव अटल जाकर पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी।
#WATCH दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर ‘सदैव अटल’ स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। pic.twitter.com/S3E3FWjDAG
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 25, 2024
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अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक करियर कब शुरू हुआ था?
अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक करियर 1950 के दशक में शुरू हुआ था। उन्होंने भारतीय जनसंघ के महासचिव के रूप में कार्य किया और 1977 में पहली बार लोकसभा के सदस्य बने।
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में कितनी बार कार्य किया?
अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन बार प्रधानमंत्री का पद संभाला: पहली बार 1996 में (13 दिन के लिए), दूसरी बार 1998 में (13 महीने के लिए), और तीसरी बार 1999 से 2004 तक (5 साल के लिए)।
अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न कब और क्यों मिला?
अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था, उन्हें उनके नेतृत्व, विचारों, और भारतीय राजनीति में उनके योगदान के लिए यह सर्वोच्च सम्मान प्राप्त हुआ।
अटल बिहारी वाजपेयी ने किस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का उद्घाटन किया था?
अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में दिल्ली मेट्रो के पहले कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। इस कार्यक्रम में उन्होंने खुद मेट्रो का पहला टिकट खरीदा और यात्रा की।
अटल बिहारी वाजपेयी को ‘सुशासन दिवस’ क्यों मनाया जाता है?
अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाई जाती है, क्योंकि उनकी सरकार के दौरान उन्होंने अच्छे शासन, आर्थिक सुधार, और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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