नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) भारतीय वायुसेना ने युद्ध नायक मार्शल अर्जन सिंह की 106वीं जयंती पर उनकी विरासत का उल्लेख करते हुए उन्हें एक ऐसे सैन्य योद्धा के रूप में याद किया, जिन्होंने सिर्फ ‘कमान कक्ष’ से नहीं बल्कि ‘कॉकपिट से नेतृत्व किया।’
देश के सैन्य इतिहास में अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के एकमात्र अधिकारी थे जिन्हें मार्शल का पद दिया गया था। अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को अविभाजित भारत के पंजाब के लायलपुर में हुआ था। उनके पिता, दादा और परदादा सेना के घुड़सवार दस्ते में थे।
सिंह ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था, जब वह 40 वर्ष के थे। सितंबर 2017 में 98 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
मंगलवार को भारतीय वायुसेना, भारतीय थल सेना, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) और रक्षा मंत्रालय ने इस महान हस्ती को श्रद्धांजलि दी तथा राष्ट्र के प्रति उनकी विरासत और योगदान को याद किया।
भारतीय वायुसेना ने एक पोस्ट में कहा ‘‘वायुसेना के महान मार्शल अर्जन सिंह की 106वीं जयंती पर वायुसेना एक दूरदर्शी नेता की उल्लेखनीय विरासत को याद कर रही है। 2002 में ‘मार्शल ऑफ द एयर फोर्स’ के रैंक पर पदोन्नत, वह भारतीय वायुसेना के इतिहास में प्रतिष्ठित पांच सितारा रैंक पाने वाले एकमात्र अधिकारी हैं।’’
वायुसेना ने एक छोटी वीडियो क्लिप भी साझा की है, जिसमें वायुसेना में सिंह के सफर को दर्शाते हुए उनकी कुछ दुर्लभ तस्वीरों का संग्रह है।
क्लिप में संग्रह की एक पंक्ति में लिखा है, ‘‘युवा फ्लाइट कैडेट से लेकर वायुसेना के मार्शल तक, सिंह की यात्रा एक निडर योद्धा की थी। उनके शुरुआती वर्षों ने उन्हें किंवदंती बना दिया।’’
श्रद्धांजलि वीडियो में वायुसेना ने कहा कि उन्होंने भारतीय वायुसेना को एक ‘‘आधुनिक दुर्जेय बल’’ के रूप में आकार देने में ‘‘महत्वपूर्ण भूमिका’’ निभाई।
वायुसेना ने कहा, ‘‘1965 के युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व ने अदम्य साहस का उदाहरण पेश किया और वह एक ऐसे नेता थे जो केवल कमान कक्ष से नहीं, बल्कि कॉकपिट से नेतृत्व करते थे।’’
सिंह उच्च पदस्थ अधिकारी थे और द्वितीय विश्व युद्ध में एक अभियान के दौरान उनके उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए उन्हें 1944 में विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) से सम्मानित किया गया था। अपनी वीरता और रणनीतिक प्रतिभा के लिए जाने जाने वाले, सिंह को 1965 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
रक्षा मंत्रालय, भारतीय सेना और सीडीएस ने अलग-अलग पोस्ट में सिंह के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
भाषा आशीष माधव
माधव
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