जलवायु परिवर्तन का असर हर जगह देखा जा सकता है: प्रधान न्यायाधीश
जलवायु परिवर्तन का असर हर जगह देखा जा सकता है: प्रधान न्यायाधीश
(फोटो के साथ)
पणजी, 19 अक्टूबर (भाषा) प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को यहां कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर हर जगह देखा जा सकता है और इससे मछुआरों तथा किसानों समेत समाज के सबसे हाशिये पर पड़े वर्ग प्रभावित हो रहे हैं।
गोवा के राज्यपाल पी. एस. श्रीधरन पिल्लई की पुस्तक ‘ट्रेडिशनल ट्रीज ऑफ भारत’ के विमोचन के मौके पर आयोजित समारोह में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि राज्य के साथ-साथ नागरिकों को पर्यावरण की रक्षा, संरक्षण और सुधार के लिए मिलकर काम करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताया गया कि गोवा में कल भी बारिश हुई थी। बचपन में हमें बताया जाता था कि नारियल पूर्णिमा पर बारिश खत्म हो जाती है, जब मछुआरे समुद्र में नारियल चढ़ाते हैं। लेकिन अब अक्टूबर और दिसंबर में भी बारिश होती है। जलवायु परिवर्तन जरूरी नहीं कि हमारी वजह से हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमें पिछले उन समाजों से विरासत में मिला है, जिन्होंने औद्योगिक क्रांति को अपनाया और इसके कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि हुई।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन केवल संपन्न लोगों को ही प्रभावित नहीं कर रहा है, बल्कि यह समाज के सबसे हाशिए पर पड़े वर्गों, जैसे मछुआरा समुदाय और किसानों को भी प्रभावित कर रहा है। जलवायु परिवर्तन के प्रति हमारी प्रतिक्रिया हमारे समाज के सबसे कमजोर वर्गों की रक्षा करने वाली होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 48ए कहता है कि सरकार पर्यावरण की रक्षा और सुधार करेगी तथा वनों तथा वन्यजीवों की सुरक्षा करेगी, जबकि अनुच्छेद 51ए(जी) के अनुसार प्रकृति की रक्षा करना और सभी जीवों के प्रति करुणा का भाव रखना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार और नागरिकों को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘वनों की सुरक्षा हमारे संविधान में निहित पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू है। भारत ने लंबे समय से प्रकृति के मूल्य को पहचाना है। यह केवल सरकार द्वारा किया जाने वाला काम नहीं है। बल्कि हम नागरिकों को भी इस काम को एक साथ मिलकर करना होगा।’’
भाषा
देवेंद्र धीरज
धीरज

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