नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) भारत में पिछले पांच वर्षों में प्रत्येक वर्ष गर्भवती महिलाओं के लिए जोखिम पैदा करने वाले उच्च तापमान के औसतन छह अतिरिक्त दिन दर्ज किये गए। सोमवार को प्रकाशित एक नये अध्ययन रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक स्वतंत्र समूह ‘क्लाइमेट सेंट्रल’ द्वारा किये गए अध्ययन में कहा गया है कि 90 प्रतिशत देशों और क्षेत्रों में ऐसे दिनों की संख्या दोगुनी हो गई है।
अध्ययन के तहत, शोधकर्ताओं ने 247 देशों और क्षेत्रों तथा 940 शहरों में 2020 से 2024 तक दैनिक तापमान का विश्लेषण किया, ताकि ‘‘गर्भावस्था के दौरान गर्मी के जोखिम वाले दिनों’’ में वृद्धि का पता लगाया जा सके — अत्यधिक गर्म दिन, जो समय पूर्व जन्म और मातृ स्वास्थ्य समस्याओं के उच्च जोखिम से जुड़े हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अवधि के दौरान भारत में गर्भावस्था के लिए जोखिम पैदा करने वाले हर साल अतिरिक्त छह दिन दर्ज किये गए।
अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन ने 2020-2024 के दौरान भारत में गर्भावस्था के लिए जोखिम वाले गर्म दिनों की औसत वार्षिक संख्या में लगभग एक तिहाई योगदान दिया, जिससे कुल 19 दिनों में छह दिन और बढ़ गया।
सिक्किम में, जलवायु परिवर्तन से जुड़े ऐसे दिनों की संख्या सबसे अधिक 32 रही। गोवा और केरल में क्रमशः 24 और 18 अतिरिक्त दिन दर्ज किये गए।
विश्लेषण किये गए शहरों में, पणजी में पिछले पांच वर्षों में प्रत्येक वर्ष ऐसे अतिरिक्त दिनों की औसत संख्या सबसे अधिक (39) रही। इसके बाद, तिरुवनंतपुरम (36) का स्थान है।
मुंबई में 2020-2024 के दौरान जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसे 26 अतिरिक्त दिन दर्ज किए गए। चेन्नई, बेंगलुरु और पुणे में भी पिछले पांच वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण, गर्भावस्था के दौरान गर्मी के जोखिम वाले सात अतिरिक्त दिन दर्ज किए गए।
भाषा सुभाष संतोष
संतोष
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