बरुण सखाजी. नईदिल्ली : प्रशांत किशोर का कांग्रेस से जुड़ने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसकी वजह बने हैं वे नेता जिन्हें पीके के कारण वनवास पर जाना पड़ सकता था। इसी भय के चलते पीके की राह में ये नेता दीवार बनकर खड़े हो गए। कांग्रेस के जिन 7 सदस्यों से प्रशांत किशोर को लेकर रिपोर्ट मांगी गई थी, उनमें एक दिग्विजय सिंह भी थे। दिग्विजय सिंह आखिर क्यों रोक रहे हैं प्रशांत का रास्ता यह समझने के लिए सबसे पहले हमें प्रशांत की उस रिपोर्ट पर बात करनी होगी जो उन्होंने सोनिया गांधी को अपनी मुलाकात के दौरान दी थी।
राष्ट्रवाद के मामले में कांग्रेस पिछड़ी
प्रशांत किशोर की रणनीति पूरी तरह से राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय पर भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को टक्कर में लाने की है। प्रशांत की जमीनी रिपोर्ट कहती है, लोग कांग्रेस पर राष्ट्रीय सुरक्षा व राष्ट्रवाद के मामले में भरोसा नहीं कर रहे। इसीलिए महंगाई, बेरोजगारी आदि मुद्दों पर उनका ध्यान नहीं है। कांग्रेस की एंटी-नेशन इमेज का सबसे बड़ा कारक दिग्विजय सिंह हैं। उनके तमाम बयानों और एक्शन से लोगों में यह संदेश साफ गया कि पार्टी मोदी के राष्ट्रवाद के सामने खड़ी है। इतना ही नहीं इससे एंटी-हिंदू की इमेज से भी कांग्रेस जूझ रही है। सिंह ने कांग्रेस को इन मसलों पर हमेशा ही बैकफुट पर धकेला है। इस कारण ही दिग्विजय सिंह प्रशांत की राह में सबसे बड़े रोड़ा बन रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक दिग्विजय सिंह ने अपनी रिपोर्ट में प्रशांत को लेकर अच्छा नहीं लिखा। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में प्रशांत को स्टेटिस्टियन कहा था। इसका अर्थ साफ है कि वे प्रशांत की कांग्रेस के अंदर वे सिर्फ और सिर्फ आंकड़ों तक ही एंट्री चाहते हैं।
कमेटी ने रिपोर्ट दी
कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को लेकर 7 सदस्यीय टीम बनाई थी। इसकी अध्यक्षता पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम कर रहे हैं। इस कमेटी के सभी सातों सदस्यों ने अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही प्रशांत किशोर को लेकर कांग्रेस आगे का रास्ता तय करेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर ने इसके सार को भांप लिया है। इसीलिए वे हैदराबाद में केसीआर के साथ मीटिंग कर रहे हैं। इस कमेटी में चिदंबरम के अलावा मुकुल वासनिक, दिग्विजय सिंह, रणदीप सुरजेवाला, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, जैराम रमेश शामिल हैं।