राज्यपाल ने इस विश्वविद्यालय के कुलपति को बताया ‘‘अपराधी’’, बोले- कार्यक्रम में आमंत्रित कर हमला कराने की साजिश

उन्होंने दावा किया कि उस समय राजभवन ने कुलपति को मंच पर जो कुछ हुआ था, उसे लेकर एक रिपोर्ट भेजने को कहा था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

राज्यपाल ने इस विश्वविद्यालय के कुलपति को बताया ‘‘अपराधी’’, बोले- कार्यक्रम में आमंत्रित कर हमला कराने की साजिश
Modified Date: November 29, 2022 / 08:27 pm IST
Published Date: August 21, 2022 4:41 pm IST

Kannur University VC a ‘criminal’: Kerala Governor Khan: तिरुवनंतपुरम/नयी दिल्ली, 21 अगस्त । केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) को ‘‘अपराधी’’ बताते हुए उन पर तीखा हमला बोला। राज्यपाल ने कुलपति गोपीनाथ रवींद्रन पर देश में संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) को लेकर हुए आंदोलन के बीच विश्वविद्यालय में उन्हें आमंत्रित किए जाने के दौरान उन पर हमला करने की कथित साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगाया।

खान ने राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाताओं से कहा, ‘‘वह मुझे शारीरिक रूप से चोट पहुंचाने की साजिश में शामिल थे। वह एक अपराधी हैं। वह राजनीतिक कारणों से कुलपति बने बैठे हैं। मुझे कुलपति ने वहां आमंत्रित किया था। जब मुझ पर हमला किया गया तो उनका कर्तव्य क्या था? क्या उन्हें इस बारे में पुलिस को सूचना नहीं देनी चाहिए थी? लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।’’

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Kannur University VC a ‘criminal’: Kerala Governor Khan: वह दिसंबर 2019 में कन्नूर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘भारतीय इतिहास कांग्रेस’ का उद्घाटन करने के लिए गए थे, तभी उन्हें कथित रूप से परेशानी का सामना करना पड़ा। जैसे ही राज्यपाल संबोधित करने वाले थे, कार्यक्रम के लिए इकट्ठा हुए अधिकांश प्रतिनिधियों ने सीएए पर उनके रुख के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त किया, जो उस समय एक ज्वलंत मुद्दा था।

उन्होंने दावा किया कि उस समय राजभवन ने कुलपति को मंच पर जो कुछ हुआ था, उसे लेकर एक रिपोर्ट भेजने को कहा था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

राज्यपाल ने कहा, ‘‘आमतौर पर मेरे पास किसी कुलपति के खिलाफ कुछ भी कहने का कोई कारण नहीं है। अगर मुझे कार्रवाई करनी होती, तो मैं कर सकता था। मेरे पास अधिकार हैं। मुझे सार्वजनिक रूप से क्यों बोलना चाहिए?’’

खान ने आरोप लगाया, ‘‘लेकिन, मुझे सार्वजनिक रूप से बोलने के लिए मजबूर किया गया है क्योंकि कुलपति अकादमिक अनुशासन की शालीनता की सभी सीमाओं को पार कर गए हैं। उन्होंने कन्नूर विश्वविद्यालय को ‘बर्बाद’ कर दिया है। एक कुलपति से ज्यादा, वह एक राजनीतिक ‘कैडर’ हैं… कन्नूर विश्वविद्यालय में मुझ पर हमला करने की साजिश के पीछे वही थे।’’

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राज्यपाल ने दावा किया कि उन्हें बाद में ‘‘बहुत उच्च पदस्थ सूत्रों’’ से रिपोर्ट मिली थी कि लोगों को पता था कि साजिश दिल्ली में रची गई थी। उन्होंने फिर दावा किया, ‘‘वह (कुलपति) इसका हिस्सा थे।’’

वह क्या कार्रवाई करेंगे, इस बारे में पूछे जाने पर खान ने कहा, ‘‘मेरी एकमात्र योजना सब कुछ व्यवस्थित करने की है।’’

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह जो भी कार्रवाई करेंगे वह विशेषज्ञ कानूनी सलाह पर आधारित होगी, ऐसा नहीं है कि यह कार्रवाई केवल उनके अहम की संतुष्टि के लिए होगी। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने हमेशा आलोचना का स्वागत किया है क्योंकि यह ‘‘मुझे सावधान, स्पष्ट और कानून का पालन करने वाला बनाती है’’।

राज्यपाल के आरोपों पर कुलपति की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

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खान की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब राज्यपाल और सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के बीच तनातनी और बढ़ गई है क्योंकि खान ने कुलाधिपति के रूप में अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पूर्व राज्यसभा सदस्य के. के. रागेश की पत्नी प्रिया वर्गीस को कन्नूर विश्वविद्यालय में मलयालम एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त करने के कदम पर रोक लगा दी है।

नियुक्ति पर रोक लगाने के राज्यपाल के फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद के. मुरलीधरन ने पत्रकारों से कहा कि ऐसे कई मौके रहे हैं जब माकपा के वरिष्ठ नेताओं ने अपने पद का इस्तेमाल प्रियजनों को फायदा पहुंचाने या उन्हें नौकरी दिलाने में किया है, इसलिए इस मुद्दे की उचित जांच होनी चाहिए।

खान ने पत्रकारों से कहा, ‘‘उन्होंने कई अन्य नियुक्तियां की हैं। क्यों? क्योंकि वह एक कुलपति के रूप में व्यवहार नहीं कर रहे हैं, वह एक अकादमिक के रूप में व्यवहार नहीं कर रहे हैं, बल्कि वह एक पार्टी काडर के रूप में व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने कन्नूर विश्वविद्यालय को बर्बाद कर दिया है और सबकुछ व्यवस्थित करना मेरा कर्तव्य है। प्रक्रिया शुरू हो गई है।’’

उन्होंने अपने आरोप को साबित करने के लिए विश्वविद्यालय में उन पर कथित हमले का विवरण भी दिया और कहा कि कुलपति एक ‘‘अपराधी’’ हैं।

राज्यपाल ने कहा कि राजभवन द्वारा अनुमोदित और कुलपति से सहमति प्राप्त कार्यक्रम के अनुसार, तय समय और कार्यक्रम में कोई फेरबदल नहीं होना था। उन्होंने कहा, ‘‘कार्यक्रम 60 मिनट का होना चाहिए था। लेकिन कुलपति ने इतिहासकार इरफान हबीब और अन्य को डेढ़ घंटे से अधिक समय तक भाषण देने की अनुमति दी, जिन्होंने गंभीर आलोचना करते हुए, मुझे संबोधित कर हर सवाल दागे। जब मैं सवालों के जवाब देने के लिए खड़ा हुआ, तो पांच मिनट के भीतर मुझ पर हमला करने का प्रयास किया गया।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘मेरे एडीसी (अंगरक्षक) मनोज यादव की कमीज फाड़ दी गई और उन लोगों ने दो बार मुझ पर हमले का प्रयास किया। सुरक्षा के कारण वे मुझ तक नहीं पहुंच सके।’’ राज्यपाल ने 2019 की कथित घटना के बाद हबीब पर भारतीय इतिहास कांग्रेस में उनके उद्घाटन भाषण को बाधित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया था।

उन्होंने उस समय कहा था कि इस तरह का व्यवहार एक अलग राय के प्रति ‘‘असहिष्णुता’’ का संकेत देता है और ‘‘अलोकतांत्रिक’’ है।

खान ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री या अन्य राजनीतिक नेताओं के साथ इस तरह का व्यवहार कोई अपराध नहीं है, लेकिन राष्ट्रपति या राज्यपाल के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत एक अपराध है और इसके लिए सात साल तक की कैद हो सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘उनका क्या कर्तव्य था, जिसने मुझे वहां आमंत्रित किया था, मैं आपसे पूछता हूं? क्या वह एक अज्ञानी व्यक्ति हैं? क्या वह एक अनपढ़ व्यक्ति हैं? क्या वह आईपीसी के प्रावधानों के बारे में नहीं जानते हैं? क्या यह उनका कर्तव्य नहीं था कि वह इसकी सूचना पुलिस को दें?’’

उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि जब राजभवन ने उनसे मंच पर जो कुछ हुआ उसकी रिपोर्ट भेजने के लिए कहा, तो उन्होंने रिपोर्ट भेजने से इनकार कर दिया। वह एक अपराधी हैं। वह मुझे शारीरिक रूप से चोट पहुंचाने की साजिश में शामिल थे। इसलिए मैं इतनी कठोर भाषा का उपयोग कर रहा हूं।’’

खान ने आगे कहा कि वह जो भी कदम उठाएंगे, वह कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए करेंगे और ‘‘गुस्से को खुद पर हावी नहीं होने देंगे’’। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जल्दबाजी में कार्रवाई नहीं करता। मैं पहले लोगों को मौका देता हूं।’’

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com