Cast Census Karnataka: जातीय जनगणना के डेटा का इस्तेमाल आरक्षण के लिए नहीं करेगी सरकार.. आंकड़े के आधार पर जातियों को मिलेगा योजनाओं का लाभ..

सिद्धारमैया ने कहा, "राज्य में प्रस्तावित सर्वेक्षण केवल जातिगत सर्वेक्षण नहीं है, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण भी है। यह सर्वेक्षण लोगों की जाति के साथ-साथ उनकी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का विवरण प्राप्त करके वंचितों को समान अवसर प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।

Cast Census Karnataka: जातीय जनगणना के डेटा का इस्तेमाल आरक्षण के लिए नहीं करेगी सरकार.. आंकड़े के आधार पर जातियों को मिलेगा योजनाओं का लाभ..

Cast Census Karnataka || Image- AI generated FILE

Modified Date: September 21, 2025 / 10:11 am IST
Published Date: September 21, 2025 10:11 am IST
HIGHLIGHTS
  • राज्य में 22 सितंबर से जाति सर्वेक्षण शुरू होगा
  • इसके आंकड़ों से आरक्षण नहीं बढ़ेगा
  • शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति की जांच होगी

Cast Census Karnataka: बेंगलुरु: कर्नाटक में जातिगत जनगणना कराई जा रही है। सरकार ने इसका ऐलान किया था। इसकी शुरुआत सोमवार से होगी। हालांकि राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने इस जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि राज्य में 22 सितंबर से 7 अक्टूबर तक किए जाने वाले जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों का इस्तेमाल किसी आरक्षण के लिए नहीं किया जाएगा। जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल जरूरतमंद लोगों के लिए सरकारी कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

डेटा का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों के लिए

परमेश्वर ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया, “यह किसी विशेष जाति का प्रश्न नहीं है। यह केवल प्रत्येक विशेष जाति की संख्या की गणना करने के लिए है। इसका उपयोग किसी आरक्षण के लिए नहीं किया जाएगा।” उन्होंने कहा, “यह देखना है कि शैक्षणिक या प्रगति के मामले में, स्वतंत्रता के बाद ये समुदाय कितनी दूर तक पहुंचे हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि इस डेटा का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों के लिए या वंचित लोगों के लिए कोई विशेष कार्यक्रम बनाने के लिए किया जा सकता है। डेटा की इस गणना का मूल विचार यही है।”

Cast Census Karnataka: इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को राज्य में जाति सर्वेक्षण कराने का करते हुए, इसे वंचित समुदायों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक कदम बताया था। पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया कि यह केवल जाति गणना नहीं है, बल्कि राज्य के सामाजिक ताने-बाने का व्यापक मूल्यांकन है।

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सिद्धारमैया ने कहा, “राज्य में प्रस्तावित सर्वेक्षण केवल जातिगत सर्वेक्षण नहीं है, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण भी है। यह सर्वेक्षण लोगों की जाति के साथ-साथ उनकी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का विवरण प्राप्त करके वंचितों को समान अवसर प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। “सर्वेक्षण को लेकर हो रही आलोचनाओं और षड्यंत्र की बातों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “केंद्र सरकार भी जातिगत सर्वेक्षण कराएगी और क्या उसमें भी कोई षड्यंत्र होगा? किसी भी मंत्री ने सर्वेक्षण का विरोध नहीं किया है। समाज में समानता लाने के लिए गरीबों को सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

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