Karnataka Hijab Vivad: if Not prescribed uniform Girls may Wear Mini Skirt

‘ड्रेस कोड तय नहीं तो क्या लड़कियां मिडी-मिनी स्कर्ट पहनकर स्कूल आ सकतीं हैं? सुप्रीम कोर्ट

तो क्या लड़कियां मिडी-मिनी स्कर्ट पहनकर स्कूल आ सकतीं हैं?Karnataka Hijab Vivad: if Not prescribed uniform Girls may Wear Midi and Mini Skirt?

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:45 PM IST, Published Date : September 6, 2022/11:20 am IST

नयी दिल्ली: Karnataka Hijab Vivad उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध विवाद पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि किसी भी व्यक्ति को धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह अधिकार निर्धारित यूनिफॉर्म वाले स्कूल में भी लागू हो सकता है। राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने सवाल किया कि क्या कोई विद्यार्थी उस स्कूल में हिजाब पहन सकती है जहां निर्धारित ड्रेस है।

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Karnataka Hijab Vivad न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, ‘आपके पास किसी भी धर्म को मानने का अधिकार हो सकता है। लेकिन क्या उस स्कूल में धर्म का पालन कर सकते हैं जहां निर्धारित ड्रेस है…?’’ न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े से यह सवाल किया जो कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील रख रहे थे।

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इस तर्क पर कि हिजाब प्रतिबंध से महिलाएं शिक्षा से वंचित रह सकती हैं, पीठ ने कहा कि राज्य यह नहीं कह रहा है कि वह किसी भी अधिकार से इनकार कर रहा है। पीठ ने कहा, ‘‘राज्य यह कह रहा है कि आप उस ड्रेस में आएं जो विद्यार्थियों के लिए निर्धारित है…।’’ हेगड़े ने जोर दिया कि इस मामले में सर्वोच्च अदालत का फैसला समाज के एक बड़े वर्ग की शिक्षा पर असर डालेगा। उन्होंने कर्नाटक शिक्षा कानून, 1983 के प्रावधानों का भी उल्लेख किया।

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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के. एम. नटराज ने कहा कि यह मुद्दा काफी सीमित है और यह शैक्षणिक संस्थानों में अनुशासन से संबंधित है। न्यायालय ने उनसे सवाल किया, ‘अगर कोई लड़की हिजाब पहनती है तो स्कूल में अनुशासन का उल्लंघन कैसे होता है?’ इस पर एएसजी ने कहा, ‘अपनी धार्मिक प्रथा या धार्मिक अधिकार की आड़ में कोई यह नहीं कह सकता कि मैं ऐसा करने का हकदार हूं, इसलिए मैं स्कूल के अनुशासन का उल्लंघन करना चाहता हूं।’ मामले में अगली सुनवाई सात सितंबर को होगी।

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