केरल: विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय से एक-एक नाम की सिफारिश

केरल: विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय से एक-एक नाम की सिफारिश

केरल: विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय से एक-एक नाम की सिफारिश
Modified Date: December 11, 2025 / 01:13 pm IST
Published Date: December 11, 2025 1:13 pm IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने केरल के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच जारी गतिरोध के मद्देनजर बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली एक समिति को दो तकनीकी विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने के लिए एक-एक नाम सुझाने को कहा।

न्यायालय एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और डिजिटल विज्ञान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था।

न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने समिति को अगले बुधवार तक सीलबंद लिफाफे में नाम देने को कहा है तथा इस मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।

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सुनवाई शुरू होते ही अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरामानी ने अदालत को बताया कि कुलाधिपति द्वारा मुख्यमंत्री को लिखा गया एक पत्र मौजूद है। हालांकि, पीठ ने पत्र देखने से इनकार कर दिया।

केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने पीठ को सूचित किया कि कानून मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री ने 10 दिसंबर को कुलाधिपति से मुलाकात की थी।

गुप्ता ने न्यायालय को बताया कि मुख्यमंत्री की आपत्ति केवल एक नाम को लेकर है और कुलाधिपति ने अन्य नामों पर कोई विशेष आपत्ति नहीं जताई है।

न्यायालय ने आदेश में कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद गतिरोध आज तक जारी है और कुलाधिपति व मुख्यमंत्री दोनों विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर किसी सहमति पर नहीं पहुंच पाए हैं।

पीठ ने कहा, “यह उम्मीद थी कि कुलाधिपति और मुख्यमंत्री किसी सहमति पर पहुंचेंगे। हालांकि, दुर्भाग्य से दोनों के बीच कुछ पत्रों के आदान-प्रदान के अलावा अब तक कुछ भी नहीं हुआ है। आज जब हमने मामले की सुनवाई शुरू की, तो अटॉर्नी जनरल ने मुख्यमंत्री को कुलाधिपति के जवाब वाला एक सीलबंद लिफाफा सौंपा। हम इस पर गौर करने से इनकार करते हैं।”

न्यायालय ने कहा, “हमारा मानना ​​है कि ऐसी परिस्थितियों में हमें न्यायमूर्ति धूलिया की अध्यक्षता वाली समिति से अनुरोध करना चाहिए कि वह मुख्यमंत्री के पत्र और कुलाधिपति के जवाब की समीक्षा करे तथा हमें एक समग्र रिपोर्ट दे। हम समिति से अनुरोध करते हैं कि वह प्रत्येक विश्वविद्यालय से एक नाम सीलबंद लिफाफे में दें। हम समिति से अनुरोध करते हैं कि वह यह कार्य करे और अगले बृहस्पतिवार तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।”

भाषा जितेंद्र मनीषा

मनीषा


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