असम में लाखों युवाओं को नौकरी मिली, भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा: हिमंत

असम में लाखों युवाओं को नौकरी मिली, भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा: हिमंत

असम में लाखों युवाओं को नौकरी मिली, भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा: हिमंत
Modified Date: August 7, 2024 / 08:48 pm IST
Published Date: August 7, 2024 8:48 pm IST

गुवाहाटी, सात अगस्त (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को दावा किया कि राज्य में लाखों युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गई हैं और इन भर्तियों के दौरान भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है।

शर्मा ने डेरगांव में असम वन सुरक्षा बल (एएफपीएफ) की पहली ‘पासिंग आउट परेड’ में कहा कि राज्य में पूरी भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी, स्वच्छ और समावेशी है।

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के शासन के दौरान असम की एक पूरी योग्य पीढ़ी सरकारी नौकरियों से वंचित रही।’’

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शर्मा ने दावा किया कि उन्होंने विश्लेषण करने पर पाया कि ‘‘2001 से 2004 के दौरान असम पुलिस में लगभग 30-35 प्रतिशत भर्तियां एक विशेष समुदाय से की गई थीं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘असम सरकार अब पुलिस और वन सुरक्षाबलों में हर धर्म, जाति और समुदाय के लोगों को शामिल करके भर्ती कर रही है।’’

शर्मा ने नए भर्ती हुए 940 जवानों से वन्यजीवों को बचाने के लिए पूरी ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करने का आग्रह किया और उन्हें उनकी नयी भूमिकाओं के लिए शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने कहा, ‘‘असम में 26,800 वर्ग किलोमीटर से अधिक वनक्षेत्र है, जिसमें विविध वन्यजीव रहते हैं, जिन्हें हमें जंगलों के लिए हानिकारक अवैध गतिविधियों से बचाना है। मैं अपने वन संरक्षण बल से आग्रह करता हूं कि वे आगे बढ़कर हमारे जंगलों की रक्षा करें।’’

शर्मा ने कहा कि 940 नए कांस्टेबल के शामिल होने से असम वन सुरक्षाबल की ताकत दोगुनी से भी अधिक हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘…यह खुशी की बात है कि नए भर्ती किए गए कर्मियों में से 10 प्रतिशत महिलाएं हैं।’’

एएफपीएफ के कर्मियों की संख्या मौजूदा 784 से बढ़कर 1,724 हो गई है और 940 कांस्टेबल में से लगभग 90 महिलाएं हैं।

शर्मा ने कहा कि तीसरी बटालियन में नए भर्ती किए गए जवान शामिल होंगे।

एएफपीएफ का गठन 1986 में पर्यावरण और वन विभाग के लिए एक बल के रूप में किया गया था, जिसकी प्राथमिक जिम्मेदारी असम के जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा करना है।

भाषा सिम्मी नेत्रपाल

नेत्रपाल


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