नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) शोधकर्ताओं ने पाया कि रिकॉर्डिंग में ‘वॉयस फीचर’ जैसे स्वर, पिच और स्पष्टता लैरिंक्स (वॉयस बॉक्स) कैंसर के शुरुआती संकेतों का पता लगाने में मदद कर सकती हैं।
‘फ्रंटियर्स इन डिजिटल हेल्थ’ पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्ष, कृत्रिम मेधा (एआई) मॉडल विकसित करने में मदद कर सकते हैं, जो स्वर में असामान्यताओं का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि भले ही असामान्यता कम हो लेकिन यह लैरिंक्स कैंसर के शुरुआती चरणों का संकेत दे सकती है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान निदान प्रक्रियाएं, जैसे एंडोस्कोपी और बायोप्सी ‘इनवेसिव’ हैं।
‘इनवेसिव’ का मतलब होता है कि शरीर के अंदर किसी तरह का उपकरण डालना या ऊतक निकालना।
अमेरिका की ‘ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी’ में क्लिनिकल इन्फॉर्मेटिक्स के पोस्टडॉक्टरल फेलो एवं लेखक डॉ. फिलिप जेनकिंस ने कहा, “शोध में हमें पता चला कि इस डेटासेट (आवाज रिकॉर्डिंग के) के साथ हम ‘वोकल बायोमार्कर’ का उपयोग कर स्वर में असामान्यता वाले मरीजों को कैंसर के रोगियों से अलग कर सकते हैं।”
शोधकर्ता टीम ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ‘ब्रिज2एआई-वॉयस’ डेटासेट से ली गई 306 प्रतिभागियों की 12,500 से ज्यादा आवाज रिकॉर्डिंग के स्वर, पिच और स्पष्टता का विश्लेषण किया।
उन्होंने कहा कि स्वर में असामान्यता वाले पुरुषों और लैरिंक्स कैंसर से पीड़ित पुरुषों की आवाज में स्पष्ट अंतर पाया गया लेकिन शोधकर्ताओं को महिलाओं की आवाज में कोई विशिष्ट विशेषताएं नहीं मिलीं।
शोधकर्ताओं कहा कि यह संभव है कि एक बड़ा डेटासेट ऐसे अंतरों को उजागर कर सकता है।
भाषा जितेंद्र नेत्रपाल
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