(Basant Panchami 2026 / Image Credit: Pixabay)
Basant Panchami 2026: हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती, बुद्धि, ज्ञान और संगीत की देवी की पूजा की जाती है। साथ ही यह पर्व ऋतु परिवर्तन का प्रतीक भी माना जाता है, जब सर्दियों का मौसम धीरे-धीरे विदा लेता है और बसंत ऋतु का आगमन होता है। शिक्षा, कला और संगीत से जुड़े लोग इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने इसी दिन ज्ञान, विद्या और संगीत की देवी मां सरस्वती को प्रकट किया था। इसी कारण बसंत पंचमी को मां सरस्वती का जन्मोत्सव भी माना जाता है। इसे बसंत पंचमी के साथ-साथ ‘श्री पंचमी’ के नाम से भी जाना जाता है।
नए साल 2026 में बसंत पंचमी का पर्व 23 जनवरी को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 22 जनवरी दोपहर 3:20 बजे से शुरू होकर 23 जनवरी दोपहर 2:20 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार 23 जनवरी को ही इस पर्व को मनाना सबसे शुभ माना गया है।
बसंत पंचमी के दिन विधि-विधान और श्रद्धा के साथ मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है। छात्र-छात्राओं को सुबह स्नान करके शुद्ध मन से पूजा करनी चाहिए। षोडशोपचार विधि से पूजा करने में विशेष फल मिलता है। पूजा में मां सरस्वती को सफेद या पीले फूल, अक्षत, पुस्तक, कलम और वाद्य यंत्र अर्पित किए जाते हैं। इस दिन पीले या सफेद वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि पीला रंग बसंत ऋतु, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है।
बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत बिना पंचांग देखे की जा सकती है। यह दिन विशेष रूप से शिक्षा, लेखन, संगीत या कला की साधना के लिए शुभ माना जाता है, जिससे इन क्षेत्रों में सफलता और विकास की प्राप्ति होती है।