सरकार ने किया बदलाव, बिना यूपीएससी परीक्षा के बन सकेंगे अफसर, जानिए कैसे

सरकार ने किया बदलाव, बिना यूपीएससी परीक्षा के बन सकेंगे अफसर, जानिए कैसे

सरकार ने किया बदलाव, बिना यूपीएससी परीक्षा के बन सकेंगे अफसर, जानिए कैसे
Modified Date: November 29, 2022 / 08:31 pm IST
Published Date: June 10, 2018 11:57 am IST

नई दिल्ली। देश में अब तक अफसर बनने के लिए यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा पास करना जरुरी था, लेकिन मोदी सरकार के किए गए नए बदलाव से अब ऐसा नहीं होगा। अब बिना यूपीएसएसी परीक्षा के भी अफसर बना जा सकता है। लेकिन इसके लिए नियम एवं शर्तें थोड़ी कड़ी हैं।

मोदी सरकार के नए फैसले के बाद अब निजी कंपनियों के वरिष्ठ अफसर भी शासन का अंग बन सकते हैं। केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री के माध्यम से इसे संभव बना दिया है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने रविवार को इन पदों पर नियुक्ति के लिए डिटेल गाइडलाइंस के साथ अधिसूचना जारी की

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इसके बाद सरकार अब सर्विस रुल में बदलाव करेगी। जारी अधिसूचना मुताबिक मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रटरी के पद पर नियुक्ति होगी। इनका कार्यकाल 3 वर्ष का रहेगा और प्रदर्शन अच्छा रहा तो इनकी नियुक्ति 5 साल के लिए हो सकेगी।

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बता दें कि आवेदन के लिए अधिकतम उम्र की सीमा तय नहीं है लेकिन न्यूनतम उम्र 40 साल है। इतना वेतन वेतन केंद्र के जॉइंट सेक्रटरी स्तर का ही होगा।  सुविधाएं भी उसी स्तर की मिलेंगी। बता दें कि किसी भी विभाग में संयुक्त सचिव की भूमिका बड़ी होती है।

इन पदों पर सलेक्शन के लिए इंटरव्यू लिया जाएगा। इंटरव्यू लेने वाली कमेटी के मुखिया कैबिनेट सेक्रेटरी होंगे। इन पदों के लिए योग्य सामान्य ग्रेजुएट और किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव रखने वाले भी माने जाएंगे

शुरुआती चरण में सरकार इस योजना के तहत अभी 10 मंत्रालयों एक्सपर्ट जॉइंट सेक्रटरी नियुक्त करेगी। ये 10 मंत्रालय और विभाग, फाइनैंस सर्विस, इकनॉमिक अफेयर्स, ऐग्रिकल्चर, रोड ट्रांसपोर्ट, शिपिंग, पर्यावरण, रिन्यूअबल एनर्जी, सिविल एविएशन और कॉमर्स हैं।

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बता दें कि इस तरह की नियुक्ति का पहला प्रस्ताव 2005 में आया था। तब प्रशासनिक सुधार पर पहली रिपोर्ट आई थी, लेकिन इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था। 2010 में आई दूसरी प्रशासनिक सुधार रिपोर्ट में भी इसका समर्थन किया गया। लेकिन पीएम मोदी के इस बारे में रूचि लेने के कारण उनकी सरकार आने के बाद पहल शुरु हुई और 2016 में कमेटी बनाई गई। उसमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की अनुशंसा की।

वेब डेस्क, IBC24


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