नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) अदालतों में डिजिटल सुनवाई जारी रखने पर वकील अलग-अलग राय व्यक्त कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को यह टिप्पणी उस समय की जब मामलों की प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका तत्काल सुनवाई के लिए आई।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, ‘‘कुछ लोग चाहते हैं कि अदालतें खुलें, बाकी ऐसा नहीं चाहते।’’
वकीलों के संगठन ‘ऑल इंडिया ज्यूरिस्ट्स एसोसिएशन’ की याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किये जाने पर पीठ ने यह टिप्पणी की ।
वकील सिद्धार्थ आर गुप्ता ने कहा कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने डिजिटल सुनवाई पूरी तरह बंद करने का फैसला किया है और इससे वकीलों और वादियों को असुविधा होगी।
इस विषय पर वकीलों के बीच मत-भिन्नता का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि वह याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने संबंधी दलीलों पर विचार करेगी।
इससे पहले उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गयी थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण मार्च में निलंबित हो गयी मामलों की प्रत्यक्ष सुनवाई 24 अगस्त से बहाल होगी।
उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने 16 अगस्त को इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी।
याचिका में इस अधिसूचना को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है जिसमे यह भी कहा गया है कि वीडियो कांफ्रेंस से सुनवाई के किसी अनुरोध पर विचार नहीं किया जायेगा।
भाषा वैभव अनूप
अनूप
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