ममता ने शाह को ‘खतरनाक’ कहा; बंगाल में 1.5 करोड़ मतदाता हटाने का आरोप लगाया
ममता ने शाह को ‘खतरनाक’ कहा; बंगाल में 1.5 करोड़ मतदाता हटाने का आरोप लगाया
कृष्णानगर (प. बंगाल), 11 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर हमला तेज करते हुए उन्हें ‘‘खतरनाक’’ करार दिया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों के एसआईआर का इस्तेमाल 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल के लाखों पात्र मतदाताओं के नाम गैरकानूनी तरीके से हटाने के लिए कर रहे हैं।
नदिया जिले के कृष्णानगर में एक रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया कि शाह मतदाता सूचियों से ‘डेढ़ करोड़ नाम’ हटाने की कोशिशों को सीधे तौर पर निर्देशित कर रहे हैं। ममता ने चेतावनी दी कि अगर मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान एक भी पात्र मतदाता का नाम हटाया गया, तो वह अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘देश का गृहमंत्री खतरनाक है। उनकी आंखों में यह साफ दिखता है। एक आंख में ‘दुर्योधन’ दिखता है, और दूसरी में ‘दु:शासन’।’’
बनर्जी ने आरोप लगाया कि 2026 के विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले एसआईआर का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘वे वोटों के लिए इतने भूखे हैं कि उन्होंने अब एसआईआर शुरू कर दिया है। अगर किसी पात्र व्यक्ति का नाम कट जाता है तो मैं तब तक धरना दूंगी, जब तक नाम जुड़ नहीं जाता। पश्चिम बंगाल में कोई निरुद्ध केंद्र नहीं बनेगा।’’
बनर्जी ने दावा किया कि एसआईआर के दौरान जिलाधिकारियों पर डेढ़ करोड़ नाम काटे जाने का दबाव बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘बिहार में आपने ऐसा कर लिया होगा, लेकिन बंगाल में नहीं कर सकते।’’
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि मसौदा मतदाता सूचियां भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के कहने पर तैयार की जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने उन खबरों का हवाला दिया कि लोगों ने अपने दस्तावेजों के तौर पर दादा-दादी के नाम दिए थे, उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा और उनका नाम सूची से हटाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अब हम सुन रहे हैं कि जिन्होंने अपने दादा-दादी के नाम दिए हैं, उन्हें बुलाया जाएगा, और योजना यह है कि इन सुनवाइयों से सीधे नाम हटा दिए जाएं।’’
बनर्जी ने कहा कि उन्होंने खुद अभी तक अपना गणना प्रपत्र नहीं भरा है।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘क्या अब मुझे दंगाइयों की पार्टी को अपनी नागरिकता साबित करने की जरूरत है?’’
गृह मंत्री शाह ने बुधवार को लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा था कि देश में एक भी घुसपैठिये को नहीं रहने दिया जाएगा और अवैध घुसपैठियों के साथ खड़े लोग बंगाल से गायब हो जाएंगे।
इस पर ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को तीखा पलटवार किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास एक (केंद्रीय) गृह मंत्री हैं जो सभी बंगालियों को बांग्लादेशी करार देकर उन्हें निरुद्ध केंद्रों में भेजने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन हम किसी को भी पश्चिम बंगाल से बाहर नहीं निकालने देंगे। अगर किसी को जबरन निकाला जाता है तो उसे वापस लाने का तरीका हम बखूबी जानते हैं।’’
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए भाजपा से जुड़े अधिकारियों को तैनात कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को प्रभावित करने और एसआईआर की सुनवाइयों पर नजर रखने के लिए दिल्ली से ऐसे लोग भेजे जा रहे हैं।
उन्होंने दावा किया, ‘‘पश्चिम बंगाल में स्थिति पर नजर रखने के लिए दिल्ली से भाजपा समर्थित कुछ लोगों को भेजा जा रहा है। केवल भाजपा की शिकायतों पर कार्रवाई क्यों हो रही है?’’
ममता ने लाखों नाम हटाने की भाजपा की शिकायत का ज़िक्र करते हुए कहा, ‘‘भाजपा ने शिकायत की है। वे चाहते हैं कि उनके नाम को छोड़कर बाकी सभी के नाम हटा दिए जाएं।’’
उन्होंने चुनावों से पहले मतदाताओं को बांटने के लिए सत्ताधारी पार्टी द्वारा पैसे के कथित इस्तेमाल पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा, ‘‘जब भी चुनाव आते हैं, भाजपा पैसे से मतदाताओं को बांटने की कोशिश करती है। अपने वोटों को बंटने न दें।’’
कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह मुर्शिदाबाद में निलंबित तृणमूल कांग्रेस विधायक हुमायूं कबीर की हाल की गतिविधियों की ओर एक इशारा था।
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि उन्होंने अपना एसआईआर गणना-प्रपत्र नहीं भरा है। उन्होंने घोषणा की कि वह ऐसा तभी करेंगी जब हर आम नागरिक का फॉर्म स्वीकार कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘एक बीएलओ मेरे आवास स्थित कार्यालय आए। लेकिन मैंने खुद कोई फॉर्म नहीं लिया है। क्या अब मुझे दंगा करने वालों की पार्टी के सामने अपनी नागरिकता साबित करनी होगी?’’
निर्वाचन आयोग के अधिकारी पहले ही साफ कर चुके हैं कि मौजूदा मुख्यमंत्री होने के नाते बनर्जी पहले से ही ‘चिह्नित मतदाता’ के तौर पर पंजीकृत हैं, जिस श्रेणी में प्रधानमंत्री, सभी मुख्यमंत्री और अन्य संवैधानिक पद पर बैठे लोग शामिल हैं, और कानूनी तौर पर उन्हें गणना-प्रपत्र जमा करने की ज़रूरत नहीं है।
एसआईआर का पहला चरण बृहस्पतिवार को खत्म हो रहा है। मतदाता सूची का मसौदा 16 दिसंबर को घोषित किया जाएगा और सुनवाई तथा सत्यापन दिसंबर और जनवरी के मध्य तक जारी रहेगा।
अंतिम मतदाता सूची फरवरी के मध्य में प्रकाशित की जा सकती है।
भाषा
वैभव सुरेश
सुरेश

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