ममता मतदाता सूची पुनरीक्षण में हस्तक्षेप कर निर्वाचन आयोग के अधिकार को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं: शुभेंदु

ममता मतदाता सूची पुनरीक्षण में हस्तक्षेप कर निर्वाचन आयोग के अधिकार को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं: शुभेंदु

ममता मतदाता सूची पुनरीक्षण में हस्तक्षेप कर निर्वाचन आयोग के अधिकार को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं: शुभेंदु
Modified Date: July 28, 2025 / 09:36 pm IST
Published Date: July 28, 2025 9:36 pm IST

कोलकाता, 28 जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार को बोलपुर में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह राजनीतिक लाभ के लिए निर्वाचन आयोग के कामकाज में हस्तक्षेप करने और मतदाता सूची के पुनरीक्षण को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं।

शुभेंदु अधिकारी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किए गए कड़े शब्दों वाले एक बयान में मुख्यमंत्री पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में ‘स्पष्ट’ हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया और दावा किया कि बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के लिए उनकी टिप्पणी धमकाने के समान थी।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता अधिकारी ने लिखा, ‘‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ये बयान लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों की शुचिता को कमजोर करने के एक स्पष्ट प्रयास से कम नहीं हैं।’’

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उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘‘बूथ लेवल के अधिकारियों (बीएलओ) को खुलेआम यह याद दिलाकर कि वे ‘राज्य सरकार के कर्मचारी’ हैं और उन्हें भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के निर्देशों का पालन न करने की चेतावनी देकर, वह पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से धमका रही हैं।’’

बनर्जी के रुख को ‘चुनाव प्रक्रिया में अनधिकृत हस्तक्षेप और हेरफेर का स्पष्ट मामला’ बताते हुए, अधिकारी ने आरोप लगाया कि यह सुनिश्चित करने का उनका निर्देश कि ‘‘किसी भी मतदाता का नाम नहीं हटाया जाना चाहिए’ अधिकारियों को धमकाने और मतदाता सूची संशोधन को राजनीतिक लाभ के लिए प्रभावित करने का एक परोक्ष प्रयास’ था।

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘उनकी टिप्पणी न केवल निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता का अनादर करती है, बल्कि हमारे चुनावों की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करती हैं।’’

उन्होंने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि वह मुख्यमंत्री के बयानों का तत्काल संज्ञान ले और यह जांच शुरू करे कि क्या इन बयानों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) बिना किसी डर या दबाव के अपना कर्तव्य निर्वहन कर सकें, ताकि हर नागरिक को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का अधिकार मिल सके।’’

मुख्यमंत्री बनर्जी ने इससे पहले दिन में मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान बीएलओ को नागरिकों को परेशान न करने का निर्देश दिया था और यह भी कहा था कि वे राज्य सरकार के प्रति जवाबदेह हैं।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित बीएलओ प्रशिक्षण सत्रों के बारे में राज्य प्रशासन को कोई जानकारी नहीं दी गई। इस टिप्पणी ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है।

भाषा अमित दिलीप

दिलीप


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