नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने 2017 में 17 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म मामले में एक व्यक्ति को सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने कहा कि सजा घृणित कृत्य की गंभीरता के अनुरूप होनी चाहिए ताकि इस तरह की सोच वाले व्यक्तियों के लिए यह प्रभावी निवारक के रूप में काम कर सके।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने बलात्कार के लिए उकसाने की खातिर व्यक्ति की एक करीबी महिला रिश्तेदार को भी सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।
उन्होंने कहा कि बचपन में हुए यौन उत्पीड़न के मनोवैज्ञानिक घाव कभी नहीं मिटते तथा वे पीड़ित को परेशान करते रहते हैं और इससे उसका समुचित शारीरिक और मनोवैज्ञानिक विकास बाधित होता है।
अदालत 28 वर्षीय व्यक्ति और उसकी महिला रिश्तेदार के खिलाफ सजा की अवधि पर दलीलें सुन रही थी। व्यक्ति को दो अप्रैल को पोक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था, जबकि उसकी रिश्तेदार को अधिनियम के तहत उकसाने के लिए दोषी ठहराया गया है।
अदालत ने पीड़िता को 10.5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है।
अतिरिक्त लोक अभियोजक योगिता कौशिक दहिया ने कहा कि व्यक्ति ने दिसंबर 2017 में नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न का निंदनीय कृत्य किया, जबकि उसकी रिश्तेदार महिला ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया, जिससे घृणित अपराध को अंजाम देने में मदद मिली।
भाषा
नोमान अविनाश
अविनाश
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