मणिपुर हिंसा : न्यायालय ने मुख्यमंत्री के खिलाफ ऑडियो क्लिप पर फॉरेंसिक रिपोर्ट मांगी

मणिपुर हिंसा : न्यायालय ने मुख्यमंत्री के खिलाफ ऑडियो क्लिप पर फॉरेंसिक रिपोर्ट मांगी

मणिपुर हिंसा : न्यायालय ने मुख्यमंत्री के खिलाफ ऑडियो क्लिप पर फॉरेंसिक रिपोर्ट मांगी
Modified Date: February 3, 2025 / 04:21 pm IST
Published Date: February 3, 2025 4:21 pm IST

नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में जातीय हिंसा में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की भूमिका का आरोप लगाने वाली एक लीक ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर सीलबंद लिफाफे में फॉरेंसिक रिपोर्ट मांगी है।

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने सोमवार को ‘कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट’ (कोहूर) की याचिका पर केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) से छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी और सुनवाई 24 मार्च के लिए स्थगित कर दी।

कोहूर की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने जातीय हिंसा में मुख्यमंत्री की कथित भूमिका की अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराए जाने का अनुरोध किया।

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न्यायमूर्ति संजय कुमार, जो शीर्ष अदालत में पदोन्नत होने से पहले मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे, ने कहा, ‘‘जब मैं इस न्यायालय में पदोन्नत हुआ था तो मणिपुर के मुख्यमंत्री ने मेरे लिए रात्रिभोज का आयोजन किया था, इसलिए यदि आपको मेरे द्वारा मामले की सुनवाई करने से कोई समस्या है तो आप मुझे बता सकते हैं…।’’

भूषण ने इस पर कहा कि उन्हें कोई समस्या नहीं है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘राज्य धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौट रहा है और हम इसे (मामले को) फिलहाल स्थगित रखेंगे।’’ पीठ बाद में देखेगी कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत करे या उच्च न्यायालय।

राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ की टिप्पणियों से सहमति जताई।

हालांकि, भूषण ने लीक ऑडियो क्लिप की सामग्री को ‘‘बहुत गंभीर मामला’’ बताया और कहा कि क्लिप में मुख्यमंत्री कथित तौर पर कह रहे थे कि मेइती समूहों को राज्य सरकार के हथियार और गोला-बारूद लूटने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने टेप रिकॉर्डिंग की बातचीत संलग्न की है।’’

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता का ‘‘वैचारिक झुकाव’’ था और उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘‘मामले को भड़काने’’ के प्रयास किए जा रहे थे।

भूषण ने कहा, ‘‘ट्रुथ लैब ने पुष्टि की है कि 93 प्रतिशत यह मुख्यमंत्री की आवाज़ है, और ट्रुथ लैब एफएसएल रिपोर्ट की तुलना में कहीं अधिक विश्वसनीय हैं।’’

सॉलिसिटर जनरल ने ‘ट्रुथ लैब’ की रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल उठाया।

पिछले साल आठ नवंबर को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कुकी संगठन को लीक ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता दर्शाने के लिए सामग्री पेश करने का निर्देश दिया था।

पीठ ने कहा था, ‘‘इससे पहले कि अदालत ऑडियो क्लिप के आधार पर प्रस्तुत दिए गए प्रस्तुतीकरण पर विचार करे, हम याचिकाकर्ताओं को इस अदालत के समक्ष क्लिप की प्रामाणिकता को दर्शाने वाली सामग्री दाखिल करने का अवसर देना उचित समझते हैं।’’

पिछले वर्ष मई में मेइती और कुकी समुदायों के बीच हुए संघर्ष में 200 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए।

भूषण ने आरोप लगाया कि रिकॉर्ड की गई बातचीत प्रथम दृष्टया कुकी जो समुदाय के खिलाफ हिंसा में राज्य मशीनरी की मिलीभगत और संलिप्तता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि क्लिप में ‘‘परेशान करने वाली बातचीत’’ थी और मुख्यमंत्री को हिंसा भड़काते और हमलावरों को बचाते हुए सुना जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने हिंसा को बढ़ावा देने के साथ-साथ हथियार और गोला-बारूद लूटने की भी अनुमति दी।

याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवतन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा ठीक से जांच नहीं की जा सकती, इसलिए इसे शीर्ष अदालत द्वारा चयनित बेदाग निष्ठा वाले अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम द्वारा किया जाना चाहिए।

हाल में ‘पीटीआई’ के साथ एक साक्षात्कार में इस क्लिप के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री सिंह ने कहा था, ‘‘कुछ लोग मेरे पीछे पड़े हैं…यह एक साजिश है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। मैं इसके बारे में ज्यादा बात नहीं करूंगा। प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।’’

भाषा आशीष नरेश

नरेश


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