Maulana Mahmood Madani became emotional at the meeting of Jamiat Ulema-e-Hind in Deoband

‘हर जुल्म सह लेंगे, लेकिन वतन पर नहीं आने देंगे आंच…’, इस्लामोफोबिया के खिलाफ देवबंद से उठी आवाज, धर्म संसद की तर्ज पर 1000 सद्भावना संसद का ऐलान

Jamiat Ulama-I-Hind: देश में चल रहे मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच शनिवार को देवबंद में जमीयत उलेमा ए हिंद की बैठक हुई।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:50 PM IST, Published Date : May 28, 2022/3:25 pm IST

Jamiat Ulama-I-Hind:   देवबंद । देश में चल रहे मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच शनिवार को देवबंद में जमीयत उलेमा ए हिंद की बैठक हुई। इसमें जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने देश में चल रहे विवाद पर भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि हमें अपने ही देश में अजनबी बना दिया गया है। हम हर जुल्म सह लेंगे लेकिन वतन पर आंच नहीं आने देंगे।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश में आज हालात मुश्किल हैं। उन्होंने कहा कि देश में अखंड भारत की बात तो होती है, लेकिन हालात ऐसे हो गए हैं कि मुसलमानों को अपनी ही बस्ती में चलना तक मुश्किल हो गया है। देश में नफरत के पुजारी बढ़ गए हैं। उन्होंने शेर पढ़ा- जो घर को कर गए खाली वो मेहमां याद आते हैं। इसके बाद रुंधे गले से कहा कि हमलोग ऐसे मुश्किल हालात में हैं, जिसकी कल्पना नहीं कर सकते।  जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सकारात्मक संदेश देने के लिए धर्म संसद की तर्ज पर 1000 जगह सद्भावना संसद के आयोजन का ऐलान किया।

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Jamiat Ulama-I-Hind : उन्होंने इसे देश के लोगों को बांटने वाला करार दिया।  ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर बैठक में कई अहम बातें कही गई। इसमें मुस्लिम पक्ष की ओर से तमाम विवाद पर अपना पक्ष तय किए जाने की बात कही जा रही थी। मौलाना मदनी ने अपनी तकरीर में देश की बात की। सामाजिक एकता पर जोर दिया। साथ ही, मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर जारी महाभारत पर दुख भी जताया।

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मौलाना मदनी ने कहा कि आज के हालात काफी मुश्किल हैं। हमारा दिल जानता है कि हम किस मुश्किल दौर में हैं। हमारी स्थिति तो उस व्यक्ति से भी खराब है, जिसके पास कुछ नहीं है। हमारी स्थिति का अंदाजा कोई और क्या लगा सकता है। मुश्किलों को झेलने के लिए हौसला चाहिए, ताकत चाहिए। हम कमजोर लोग हैं। कमजोरी का यह मतलब नहीं है कि हमें दबाया जाए।