सजा के खिलाफ मेधा पाटकर की अर्जी पर सुनवाई 14 नवंबर तक टली
सजा के खिलाफ मेधा पाटकर की अर्जी पर सुनवाई 14 नवंबर तक टली
नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी दल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की उस याचिका पर सुनवाई 14 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी, जिसमें उन्होंने गुजरात के एक गैर सरकारी संगठन के प्रमुख के तौर पर दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना की ओर से 23 साल पहले दायर मानहानि मामले में उन्हें सुनाई गई पांच महीने के कैद की सजा को चुनौती दी है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने यह देखते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी कि पाटकर के अधिवक्ता की दलीलें अभी पूरी नहीं हुई हैं।
अधिवक्ता श्री देवी शुक्रवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख पाटकर की ओर से पेश हुईं, जबकि वकील गजिंदर कुमार और चंद्रशेखर ने सक्सेना की पैरवी की।
एक मजिस्ट्रेट अदालत ने पाटकर को एक जुलाई को पांच महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी और उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
पाटकर के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद अदालत ने 29 जुलाई को सजा का कार्यान्वयन निलंबित कर दिया।
चार सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में सक्सेना के वकील ने पाटकर की अर्जी पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज किया जा सकता है, क्योंकि पाटकर ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
पाटकर और सक्सेना के बीच कानूनी विवाद 2000 से जारी है। उस समय पाटकर उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के विरुद्ध मुकदमा दायर किया था।
सक्सेना तब अहमदाबाद स्थित गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के प्रमुख थे। उन्होंने एक टीवी चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और अपमानजनक प्रेस बयान जारी करने के लिए पाटकर के विरुद्ध 2001 में दो मामले दर्ज कराए थे।
भाषा पारुल रंजन
रंजन

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