महबूबा ने वक्फ अधिनियम के खिलाफ बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों के रुख पर उनका आभार जताया

महबूबा ने वक्फ अधिनियम के खिलाफ बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों के रुख पर उनका आभार जताया

महबूबा ने वक्फ अधिनियम के खिलाफ बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों के रुख पर उनका आभार जताया
Modified Date: April 12, 2025 / 03:40 pm IST
Published Date: April 12, 2025 3:40 pm IST

श्रीनगर, 12 अप्रैल (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों के ‘‘साहसिक एवं सैद्धांतिक रुख’’ के लिए आभार जताया।

पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी महबूबा मुफ्ती ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के एम.के. स्टालिन और कर्नाटक के सिद्धरमैया को एक जैसे पत्र लिखे।

‘एक्स’ पर एक पोस्ट में महबूबा ने कहा, ‘‘मैंने ममता जी, एम.के. स्टालिनजी और सिद्धरमैया जी को पत्र लिखकर वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ उनके साहसी और सैद्धांतिक रुख के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया है।’’

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उन्होंने लिखा, ‘‘आज के भारत में जहां किसी भी तरह की असहमति को तेजी से अपराध माना जा रहा है, उनकी बेबाक आवाजें ताजी हवा के झोंके की तरह हैं।’’

महबूबा ने लिखा, ‘‘जम्मू कश्मीर के निवासी के रूप में हम इन अंधेरे और चुनौतीपूर्ण समय में आपके अडिग रुख से सांत्वना और प्रेरणा पाते हैं।’’

पीडीपी प्रमुख ने अपने ‘एक्स’ खाते से पत्रों की प्रतियां भी साझा कीं ।

पत्र में कहा गया है, ‘‘एक दशक से भी ज़्यादा समय से भारत को बहुसंख्यकवाद की बढ़ती लहर का सामना करना पड़ रहा है, जो बहुलता और विविधता के इसके मूल मूल्यों को ख़तरे में डाल रही है, जबकि ज़्यादातर नागरिक इस एजेंडे को अस्वीकार करते हैं, नफ़रत और विभाजन को बढ़ावा देने वाले लोग अब हमारे संविधान, संस्थाओं और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को निशाना बनाकर सत्ता में बने हुये हैं।’’

उन्होंने पत्रों में कहा, ‘‘अल्पसंख्यकों, ख़ास तौर पर मुसलमानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, हाल ही में नए वक्फ कानूनों को मनमाने ढंग से लागू किया गया है जो हमारी धार्मिक आज़ादी को कमज़ोर करते हैं।’

उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई हमें पहले के अन्यायों की याद दिलाती हैं, जिसमें विशेष दर्जे को खत्म करना, जम्मू कश्मीर का विभाजन करना आदि शामिल है।

भाषा रंजन प्रशांत

प्रशांत


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