गलवान संघर्ष के बाद तीन साल में एलएसी पर सैन्य ढांचा, लड़ाकू क्षमताओं में इजाफा |

गलवान संघर्ष के बाद तीन साल में एलएसी पर सैन्य ढांचा, लड़ाकू क्षमताओं में इजाफा

गलवान संघर्ष के बाद तीन साल में एलएसी पर सैन्य ढांचा, लड़ाकू क्षमताओं में इजाफा

:   Modified Date:  June 14, 2023 / 09:20 PM IST, Published Date : June 14, 2023/9:20 pm IST

नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) भारत ने गलवान घाटी में 2020 में हुए संघर्ष के बाद से चीन के साथ करीब 3500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य ढांचे, निगरानी और लड़ाकू क्षमताओं में काफी इजाफा किया है। इस घटना के तीन साल पूरे होने के मौके पर सेना के सूत्रों ने बुधवार को यह बात कही।

भारत और चीन की सेनाएं सीमा पर तनाव कम करने के लिए बातचीत कर रही हैं। दोनों पक्षों के बीच टकराव वाले कुछ बिंदुओं पर गतिरोध की स्थिति है, वहीं कुछ बिंदुओं से सैनिकों की वापसी हो गयी है।

गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को दोनों सेनाओं के बीच हुआ संघर्ष पिछले पांच दशक में एलएसी पर इस तरह का पहला संघर्ष था और इससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आ गया।

सूत्रों ने गलवान संघर्ष के बाद उठाये गये कदमों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत ने पिछले तीन साल में एलएसी पर चीन के साथ ‘ढांचागत अंतराल’ को काफी कम किया है और उसका सतत ध्यान हैलीपड, एयरफील्ड, पुल, सुरंग, सैनिकों के ठिकाने और अन्य जरूरी सुविधाओं के निर्माण पर है।

इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ‘‘पूरी एलएसी पर ढांचागत विकास तेज गति से हो रहा है। मुख्य रूप से ध्यान ढांचागत अंतराल को कम करने का है।’’

सूत्रों ने कहा कि अब हमारे सैनिक और उपकरण किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से तैनात हैं।

उन्होंने कहा कि हम दुश्मनों की किसी भी कुत्सित सोच को परास्त करने पर ध्यान केंद्रित करने की मुद्रा में हैं।

सूत्रों ने इलेक्ट्रॉनिक निगरानी समेत हर तरह की निगरानी को मजबूत किये जाने की बात कही।

सूत्र ने कहा, ‘‘ढांचागत निगरानी और सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के समस्त प्रयास पूरी तरह सरकार के प्रयासों पर आधारित हैं।’’

समझा जाता है कि सेना की उत्तरी कमान के वरिष्ठ कमांडर बृहस्पतिवार को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर संपूर्ण हालात की समीक्षा करेंगे।

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लंबित सीमा विवाद के मद्देनजर सैनिकों और शस्त्र प्रणाली को तेजी से तैनात किये जाने की जरूरत पर नये सिरे से ध्यान दिया गया है।

पूर्वी लद्दाख के गतिरोध से तनाव बढ़ने के बाद सेना ने पूर्वी क्षेत्र में अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाये हैं जिनमें सभी भूभागों पर चलने वाले वाहनों, सटीकता से दागे जाने वाले गोला-बारूद, उच्च तकनीक युक्त निगरानी उपकरण, रडार और हथियारों की खरीद शामिल है।

दोनों देशों की सेनाओं ने अब तक 18 दौर की उच्चस्तरीय वार्ता की है जिसका उद्देश्य टकराव के बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना और पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अमन-चैन कायम करना है।

दोनों पक्षों के बीच उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता का 18वां दौर 23 अप्रैल को हुआ जिसमें उन्होंने पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों का जल्द से जल्द परस्पर स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए और काम करने तथा करीबी संपर्क में रहने पर सहमति जताई थी।

दोनों पक्षों ने गहन राजनयिक और सैन्य वार्ताओं के बाद अनेक क्षेत्रों में सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली है।

भारत कहता रहा है कि चीन के साथ उसके संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होती।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आठ जून को कहा था कि चीन के साथ भारत के संबंध सामान्य होने की किसी भी तरह की अपेक्षा तब तक बेबुनियाद है, जब तक पूर्वी लद्दाख में सीमा पर हालात सामान्य नहीं होते।

पूर्वी लद्दाख में सीमा पर पांच मई, 2020 को गतिरोध की स्थिति पैदा हुई थी। पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद यह स्थिति बनी थी।

भाषा वैभव नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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