नशे ने किया नाश! अधिक नशा करने से 2017 – 2019 के बीच 2,300 लोगों की मौत, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े देख फटी रह जाएंगी आंखे

नशे ने किया नाश! अधिक नशा करने से 2017 - 2019 के बीच 2,300 लोगों की मौत, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े देख फटी रह जाएंगी आंखे

नशे ने किया नाश! अधिक नशा करने से 2017 – 2019 के बीच 2,300 लोगों की मौत, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े देख फटी रह जाएंगी आंखे
Modified Date: November 29, 2022 / 08:30 pm IST
Published Date: February 14, 2021 9:59 am IST

नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) भारत में 2017-19 के बीच बहुत ज्यादा नशा करने से 2,300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और मरने वालों में 30-45 आयु वर्ग के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है। ब्यूरो ने बताया कि 2017 में बहुत ज्यादा नशा करने की वजह से 745 लोगों की मौत हुई। इसके बाद 2018 में 875 और 2019 में 704 लोगों की मौत हुई।

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आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा 338 लोगों की मौत राजस्थान में हुई। इसके बाद कर्नाटक में 239 और उत्तर प्रदेश में 236 लोगों की मौत हुई। 2017-19 में इस वजह से मरने वाले लोगों में 30-45 आयु वर्ग के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा 784 थी। वहीं 14 साल से कम उम्र के 55 बच्चों की मौत हुई और 14-18 साल के आयु वर्ग वाले 70 किशोरों की मौत ज्यादा नशा करने की वजह से हुई। आंकड़ों के अनुसार इस वजह से 18-30 साल आयु वर्ग के 624 और 45-60 वर्ष आयु वर्ग के 550 लोगों की मौत हुई। वहीं 60 साल या उससे अधिक आयु वर्ग के 241 लोगों की मौत हुई।

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नशीले पदार्थों के सेवन की समस्या से निपटने के लिए सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय ने हाल में ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ (एनएमबीए) की शुरूआत 272 बेहद प्रभावित जिलों में शुरू की। इस कार्यक्रम में नारकोटिक्स ब्यूरो, नशीले पदार्थ के आदी लोगों तक पहुंच और सामाजिक न्याय मंत्रालय के द्वारा इस संबंध में जागरूकता फैलाने और स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनके इलाज को शामिल किया गया।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनएमबीए को आगे और भी मजबूत किया जाएगा और यह नेशनल एक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड रिडक्शन (एनएपीडीडीआर) के तहत काम करना जारी रखेगा। इसमें 272 जिलों में 13,000 युवा स्वयंसेवियों को नशीले पदार्थ के उपभोग से संबंधित दिक्कतों के प्रति समुदाय के साथ काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनएपीडीडीआर से करीब 11.80 लाख लोग वित्त वर्ष 2021-22 में लाभान्वित होंगे।

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विशेषज्ञों ने कहा कि नशीले पदार्थों के उपभोग के मुद्दों से निपटने के लिए सरकार को दीर्घकालीन इलाज और पुनर्वास पर काम करना चाहिए।इंटरनेशनल ट्रीटमेंट प्रीपेयर्डनेस कॉलिशन में दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय समन्वयक लून गंगाटे ने कहा कि पुनर्वास के बाद रोजगार के अवसर अवश्य तौर पर उपलब्ध कराने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चत करना बेहद जरूरी है कि पुनर्वास के बाद क्या होगा। पुनर्वास आसान रास्ता है और यह देखा जाता है कि पुनर्वास के बाद 80-90 फीसदी लोग फिर से नशे का शिकार हो जाते हैं इसलिए पुनर्वास के बाद की योजना तैयार करना बेहद जरूरी है।

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com