नगालैंड ने ईएनपीओ की मांग के अनुरूप अलग संवैधानिक प्रावधान का विरोध किया

नगालैंड ने ईएनपीओ की मांग के अनुरूप अलग संवैधानिक प्रावधान का विरोध किया

नगालैंड ने ईएनपीओ की मांग के अनुरूप अलग संवैधानिक प्रावधान का विरोध किया
Modified Date: August 6, 2025 / 10:11 pm IST
Published Date: August 6, 2025 10:11 pm IST

कोहिमा, छह अगस्त (भाषा) नगालैंड सरकार ने प्रस्तावित सीमांत नगालैंड क्षेत्रीय प्राधिकरण (एफएनटीए) के लिए संभवतः अनुच्छेद 370 के तहत अलग से संवैधानिक प्रावधान करने के केंद्र के प्रस्ताव का बुधवार को कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह कदम ‘‘राज्य के क्षेत्रीय विभाजन के समान होगा’’।

ऊर्जा और संसदीय मामलों के मंत्री तथा सरकार के प्रवक्ता के जी केन्ये ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कोहिमा में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य पूर्वी क्षेत्र के लिए प्रशासनिक, वित्तीय और न्यायिक स्वायत्तता की मांग का समर्थन करता है, लेकिन वह किसी भी ऐसे अलग राजनीतिक पहचान स्थापित करने के सख्त खिलाफ है, जो नगालैंड के साथ उसके संवैधानिक और क्षेत्रीय संबंध का विच्छेद करता हो।

केन्ये ने कहा, ‘‘राज्य सरकार पूर्वी नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) की मूल मांग के अनुसार स्वायत्तता के विरोध में नहीं है, लेकिन हम किसी भी ऐसी व्यवस्था का समर्थन नहीं करेंगे, जो एक अलग संवैधानिक अनुच्छेद के माध्यम से क्षेत्र को अलग कर दे।’’

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उन्होंने कहा कि एफएनटीए को अनुच्छेद 370 के समान एक नए संवैधानिक अनुच्छेद के तहत रखने के केंद्र के प्रस्ताव ने गंभीर चिंताएं पैदा की हैं।

केन्ये ने कहा कि इसके बजाय, राज्य सरकार अनुच्छेद 371ए के तहत एक व्यवस्था का प्रस्ताव करती है, जो अनुच्छेद 371बी के तहत असम में स्वायत्त परिषदों के समान है। उन्होंने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने क्षेत्रीय परिषदों में पदेन सदस्यों को मतदान का अधिकार देने जैसे सुझावों को भी असंवैधानिक बताया है।

केन्ये ने कहा कि नगालैंड मंत्रिमंडल का एक प्रतिनिधिमंडल स्वतंत्रता दिवस के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष राज्य का पक्ष रखने के लिए नई दिल्ली का दौरा करेगा।

राज्य सरकार ने राज्य में पिछड़ी और गैर-पिछड़ी दोनों जनजातियों के बढ़ते दबाव के मद्देनजर अपनी 48 साल पुरानी नौकरी आरक्षण नीति की समीक्षा करने का भी फैसला किया है।

मंत्री के मुताबिक, सेवानिवृत्त वरिष्ठ सरकारी अधिकारी की अध्यक्षता में आरक्षण समीक्षा आयोग का गठन किया जाएगा।

भाषा धीरज सुरेश

सुरेश


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