‘नैनोजेंस प्रौद्योगिकी’ नोएडा हवाई अड्डे के स्थायी अवंसरचना की धुरी
‘नैनोजेंस प्रौद्योगिकी’ नोएडा हवाई अड्डे के स्थायी अवंसरचना की धुरी
(तस्वीरों के साथ)
(किशोर द्विवेदी)
नोएडा (उप्र), आठ अक्टूबर (भाषा) गौतमबुद्ध नगर जिले में बन रहा नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निर्माण कार्य पूरा होने के बाद देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा और इसे शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य के साथ बनाया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली से करीब 75 किलोमीटर दूर इस हवाई अड्डे के पहले चरण का निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहा है और इसके इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि उनका विशेष ध्यान इस विशाल परियोजना को पर्यावरण के हिसाब से दीर्घकालिक बनाने का है।
हवाई अड्डे के ‘डेवलपर’ ने बताया कि वे अति आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसमें ‘नैनोजेंस कैटेलिस्ट्स’ शामिल है जो पर्यावरण अनुकूल है और उत्पादन लागत को कम करती है।
एक परियोजना अधिकारी ने कहा, ‘‘अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से तैयार कैटलिस्ट का इस्तेमाल नोएडा हवाई अड्डे के निर्माण में किया जा रहा है। इस प्रौद्योगिकी की वजह से सीमेंट की जरूरत 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है।’’
अधिकारी ने बताया, ‘‘इससे हवाई अड्डा निर्माण स्थल पर कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई और साथ ही परियोजना के लागत में कमी आई है। अवसंरचना निर्माण परियोजना में सबसे अधिक जरूरत कंक्रीट की होती है और इसकी वजह से सीमेंट की मांग बढ़ती है। वहीं, अवसंरचना परियोजनाओं से उत्सर्जित कार्बन में सबसे अधिक हिस्सेदारी सीमेंट की होती है।’’
नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रिस्टोफ श्नेलमैन ने कहा कि वह इस प्रौद्योगिकी की क्षमता को लेकर उत्साहित हैं जो हमारे सतत लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी।
टाटा प्रोजेक्ट्स के कार्यकारी उपाध्यक्ष रविशंकर चंद्रशेखरन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘संपीड़न शक्ति और लचीलेपन को कायम रखने की जांच के लिए नियंत्रित परीक्षण किए गए। नैनो स्तर पर कंक्रीट जमाव से कंक्रीट संरचना के दीर्घकालिक और जंग रोधी बनने में मदद मिलती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नैनोजेंस का इस्तेमाल करने से मौसम रोधी और जंग रोधी गुण लंबे समय तक बने रहते है। नैनो कणों के इस्तेमाल से कंक्रीट के कणों की जमावट मजबूत होती है और अवसंरचना लंबे समय तक मजबूत बनी रहती है। इससे सामान्य सीमेंट मिलाने की जरूरत कम पड़ती है। इस प्रकार कंक्रीट के इस्तेमाल से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है।’’
भाषा धीरज अविनाश
अविनाश

Facebook



