ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता : उपराष्ट्रपति |

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता : उपराष्ट्रपति

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता : उपराष्ट्रपति

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : September 19, 2021/6:57 pm IST

चंडीगढ़, 19 सितंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कोविड महामारी के दौरान देश को निराश नहीं करने के लिए किसानों की सराहना करते हुए रविवार को कहा कि किसानों के लिए आय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रति एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य ग्रामीण समाज का समग्र कल्याण होना चाहिए। हमें अपने किसानों की आय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रति एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है।’’

गुरुग्राम में एक कार्यक्रम के दौरान ‘सर छोटू राम: लेखन और भाषण’ के पांच खंड जारी करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सर छोटू राम ने अविभाजित पंजाब में बड़े कृषि सुधारों को लागू किया। नायडू ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना सर छोटू राम के प्रति सबसे सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी।

हरियाणा इतिहास और संस्कृति अकादमी ने सर छोटू राम पर ‘सर छोटू राम: लेखन और भाषण’ के पांच खंडों का संकलन किया है।

उन्होंने सुझाव दिया कि प्रकाशन की प्रतियां सार्वजनिक पुस्तकालयों और पंचायत घरों में उपलब्ध होनी चाहिए ताकि लोग इस महान नेता के जीवन और कार्यों के बारे में पढ़ सकें और सीख सकें।

नायडू ने कृषि के आधुनिकीकरण और इसे अधिक दीर्घकालिक एवं लाभकारी बनाने का आह्वान करते हुए कहा, ‘अपने पिछले अनुभवों के आधार पर, हमें नियमित रूप से कृषि और ग्रामीण विकास पर अपनी रणनीतियों का पुन: मूल्‍यांकन करते हुए इन्‍हें नवीनीकृत करना चाहिए और आत्मनिर्भर भारत बनाने के अपने प्रयासों के तहत नयी प्रौद्योगिकी को प्रस्‍तुत करना चाहिए।’’

कृषि को देश की मूल संस्कृति बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा,’ हमारे गांव न केवल हमारे लिए खाद्यान्न पैदा करते हैं बल्कि हमारे संस्कार, हमारे मूल्यों और परंपराओं को भी हमारे भीतर पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अगर हमारे गांव अविकसित और पिछड़े रहेंगे तो देश प्रगति नहीं कर सकता।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश के कई स्वतंत्रता सेनानियों को वह पहचान नहीं मिली, जिसके वे सही मायने में व्‍यापक रूप से हकदार थे। उन्होंने इन स्‍वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कार्यों के बारे में वर्तमान पीढ़ियों के बीच जागरूकता फैलाने का प्रयास करने का आह्वान किया।

नायडू ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन केवल एक राजनीतिक आंदोलन नहीं था, बल्कि इसका एक गहरा सामाजिक और आर्थिक सुधारवादी एजेंडा भी था।

उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए सर छोटू राम के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘सर छोटू राम ने कृषि क्षेत्र में सुधार लाने और किसानों को साहूकारों के शोषण से मुक्त कराने के लिए अथक प्रयास किया।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘सर छोटू राम सतलुज नदी पर भाखड़ा नांगल बांध की कल्पना करने वाले पहले व्यक्ति थे। एक किसान पुत्र होने के नाते उन्हें किसानों की समस्याओं की गहरी समझ थी और उन्‍होंने हमेशा इनका समाधान तलाशने का प्रयास किया।’’

नायडू ने सामाजिक सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में साहसिक पहल के लिए भी महान नेता की प्रशंसा की।

उपराष्ट्रपति ने देश के विभाजन का सर छोटू राम द्वारा किये गए कड़े विरोध को याद करते हुए कहा, ‘ वह एक सच्चे राष्ट्रवादी थे,जिन्होंने एक संयुक्‍त और मजबूत भारत का स्वपन देखा था। वह पुनर्जागरण से परिपूर्ण व्यक्तित्‍व के धनी थे और उन्होंने राजनीति, समाज और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नए विचारों का शुभारंभ किया।’’

नायडू ने कहा कि युवा पीढ़ी को चौधरी छोटू राम जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी, राम मनोहर लोहिया जी और चौधरी चरण सिंह जी जैसी महान हस्तियों से प्रेरणा लेकर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का प्रयास करना चाहिए।

भाषा रवि कांत दिलीप

दिलीप

 

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