भूमि अधिग्रहण अधिनियम को सख्ती से लागू करने की जरूरत: संसदीय समिति

भूमि अधिग्रहण अधिनियम को सख्ती से लागू करने की जरूरत: संसदीय समिति

भूमि अधिग्रहण अधिनियम को सख्ती से लागू करने की जरूरत: संसदीय समिति
Modified Date: December 20, 2025 / 04:16 pm IST
Published Date: December 20, 2025 4:16 pm IST

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) संसद की एक समिति ने विशेष रूप से अनुसूचित क्षेत्रों में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 को सख्ती से लागू करने का आह्वान किया है और इस अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर चिंता जताई है।

इस सप्ताह संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी संसद की स्थायी समिति ने यह चिंता भी व्यक्त की है कि वैधानिक प्रावधानों के अस्तित्व में होने के बावजूद इनका उल्लंघन जारी है। कांग्रेस सांसद सप्तगिरी उलाका इस समिति के अध्यक्ष हैं।

अनुसूचित क्षेत्र एक बड़ी जनजातीय आबादी वाले क्षेत्रों को संदर्भित करते हैं, जिन्हें संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत नामित किया गया है, जो जनजातीय कल्याण के लिए विशेष शासन प्रदान करता है।

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रिपोर्ट में ‘उचित दस्तावेजीकरण या स्थानीय भाषा में सामग्री की उपलब्धता के बिना ग्राम सभा से विलंबित या सतही परामर्श, परामर्श प्रक्रिया से महिलाओं और कमजोर समूहों को वंचित रखे जाने और प्रभावित समुदायों के साथ वास्तविक बातचीत के बगैर अनुपालन प्रमाणपत्र जारी करने पर भी चिंता व्यक्त की गई है।

समिति ने राष्ट्रीय निगरानी समिति (एनएमसी) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया है और कहा कि केन-बेतवा लिंक और पोलावरम जैसी परियोजनाओं की समय-समय पर की जाने वाली समीक्षा, बसने वालों के असंतोष को कम करने में सक्षम नहीं है।

इसने यह चिंता भी जताई कि संस्थागत तंत्र के बावजूद, भूमि अधिग्रहण, मुआवजे, पुनर्वास और पुनर्वास से संबंधित शिकायतों में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई है।

भाषा हक पवनेश संतोष

संतोष


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