ओबीसी, ईडब्ल्यूसी आरक्षण पर न्यायालय का फैसला आने तक नीट-पीजी की काउंसलिंग नहीं होगी शुरू: केंद्र

ओबीसी, ईडब्ल्यूसी आरक्षण पर न्यायालय का फैसला आने तक नीट-पीजी की काउंसलिंग नहीं होगी शुरू: केंद्र

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  • Publish Date - October 25, 2021 / 12:06 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

NEET-PG counselling start date : नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को सोमवार को आश्वासन दिया कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (नीट-पीजी) की काउंसलिंग प्रक्रिया तब तक शुरू नहीं होगी, जब तक शीर्ष अदालत मौजूदा शैक्षणिक सत्र से स्नातकोत्तर अखिल भारतीय कोटा सीट (एमबीबीएस/बीडीएस और एमडी/एमएस/एमडीएस) में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी को 10 फीसदी आरक्षण देने संबंधी अधिसूचना को दी गई चुनौती के संबंध में फैसला नहीं कर लेती।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एम के नटराज के इस आश्वासन को दर्ज किया और टिप्पणी की कि यदि काउंसलिंग प्रक्रिया तय समय के अनुसार आगे बढ़ती है, तो इससे छात्रों के लिए बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी।

कुछ नीट उम्मीदवारों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक ने जिस समय-सारणी की घोषणा की है, उसके अनुसार नीट-पीजी के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया 25 अक्टूबर से शुरू होनी है। इसके बाद नटराज ने यह आश्वासन दिया।

दातार ने कहा कि शैक्षणिक वर्ष से आरक्षण लागू करने संबंधी 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं पर न्यायालय का फैसला आन तक दाखिला प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और इसका छात्रों पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

NEET-PG counselling start date ; नटराज ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील जिस संवाद का जिक्र कर रहे हैं, वह मेडिकल कॉलेजों में केवल सीटों के सत्यापन के लिए भेजा गया था और सोमवार को एक और स्पष्टीकरण अधिसूचना जारी की गई है।

एएसजी ने कहा, ‘‘काउंसलिंग प्रक्रिया लंबित याचिकाओं पर न्यायालय का फैसला आने तक शुरू नहीं होगी।’’

पीठ ने कहा कि वह इन शब्दों को रिकॉर्ड में रख रही है। उसने कहा, ‘‘हम आपके इन शब्दों को दर्ज कर रहे हैं कि याचिकाओं पर हमारा कोई फैसला आने तक काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू नहीं की जाएगी। आप जानते हैं कि यदि यह प्रक्रिया शुरू होती है, तो छात्रों को गंभीर समस्या होगी।’’

नटराज ने न्यायालय की इस टिप्पणी के प्रति सहमति जताई और कहा कि यदि भविष्य में कोई समस्या होती है, तो याचिकाकर्ता के वकील उनसे सीधे संपर्क कर सकते हैं।

न्यायालय ने 21 अक्टूबर को केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वह नीट या मेडिकल पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के निर्धारण के लिए आठ लाख रुपये वार्षिक आय की सीमा तय करने पर पुनर्विचार करेगी।

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह नीति निर्धारण के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर रही है, बल्कि केवल यह निर्धारित करने का प्रयास कर रही है कि क्या संवैधानिक मूल्यों का पालन किया गया है अथवा नहीं।

शीर्ष अदालत ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय तथा कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से एक सप्ताह में अपने हलफनामे दाखिल करने को कहा था और केंद्र के लिए कुछ सवाल बनाए थे।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें बताइए कि क्या आप मानक पर पुनर्विचार करना चाहते हैं अथवा नहीं। अगर आप चाहते हैं कि हम अपना काम करें तो हम इसके लिए तैयार हैं। हम प्रश्न तैयार कर रहे हैं जिनका जवाब आपको देना है।’’

इसने कहा, ‘‘हम सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा सकते हैं जिसमें ईडब्ल्यूएस निर्धारित करने के लिए आठ लाख रुपये का मानक तय किया गया है और आप हलफनामा दायर करते रहिएगा।’’

उच्चतम न्यायालय उन कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिनमें केंद्र और मेडिकल काउंसिलिंग समिति (एमसीसी) की 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इस अधिसूचना के तहत मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए नीट में ओबीसी को 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण दिया गया है।

भाषा सिम्मी अनूप

अनूप