दो विशिष्ट उत्परिवर्तन वाले कोरोना वायरस के नये प्रकार एंटीबॉडी से बच सकते हैं: वायरोलॉजिस्ट

दो विशिष्ट उत्परिवर्तन वाले कोरोना वायरस के नये प्रकार एंटीबॉडी से बच सकते हैं: वायरोलॉजिस्ट

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  • Publish Date - February 21, 2021 / 12:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:56 PM IST

नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) जानेमाने वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील का कहना है कि कोरोना वायरस के ऐसे नये प्रकार एंटीबॉडी से बचकर टीकों को कम प्रभावी बना सकते हैं जिनके स्पाइक प्रोटीन में दो विशिष्ट उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) हों। उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि वायरस के नये प्रकारों पर निगरानी बढ़ायी जाए।

हरियाणा के अशोक विश्वविद्यालय में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के निदेशक जमील ने कहा कि इन दो उत्परिवर्तन से स्पाइक प्रोटीन के उस हिस्से की संरचना में ‘‘बड़ा बदलाव’’ आएगा, जो एंटीबॉडीज से जुड़ता है, जिससे टीके ऐसे प्रकार के मुकाबले में कम प्रभावी होंगे।

कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन उसे ‘होस्ट सेल’ पर एसीई2 रिसेप्टर के साथ जुड़ने में सक्षम बनाता है- यह एक प्रक्रिया होती है और अध्ययनों से यह पता चला है कि यह प्रक्रिया वायरस के कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमण का कारण बनने के लिए महत्वपूर्ण होती है।

इंडियन नेशनल यंग एकेडमी ऑफ साइंस (आईएनवाईएएस), नयी दिल्ली द्वारा टीके के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने और मिथकों को दूर करने के लिए आयोजित एक ऑनलाइन प्रस्तुति-चर्चा श्रृंखला ‘जीवाईएएनटीईईकेए’ में जमील ने कहा कि ये उत्परिवर्तन 501 वें और 484वें ‘एमिनो एसिड बिल्डिंग ब्लॉक्स’ में हैं जो वायरस का स्पाइक प्रोटीन बनाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि 501 और 484 दोनों उत्परिवर्तन एक ही समय में एक ही वायरस में हों, तो उस वायरस के या तो एंटीबॉडी प्रतिक्रिया से बचने या एंटीबॉडी को कम प्रभावी बनाने की संभावना होती है।’’

मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि देश में चार व्यक्तियों में कोविड-19 के दक्षिण अफ्रीका में सामने आये प्रकार से संक्रमित होने और एक व्यक्ति के ब्राजील में सामने आये प्रकार से संक्रमित होने का पता चला है जो कि भारत में पहली बार हुआ है।

भाषा अमित नरेश

नरेश