एनजीटी ने नदी प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये जल शक्ति मंत्रालय से तंत्र बनाने को कहा

एनजीटी ने नदी प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये जल शक्ति मंत्रालय से तंत्र बनाने को कहा

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  • Publish Date - February 25, 2021 / 11:06 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:00 PM IST

नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने जल शक्ति मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह देश में नदियों में प्रदूषण नियंत्रण की लिये उठाए गए कदमों की प्रभावी निगरानी और सभी प्रदूषित नदी क्षेत्रों के पुनरुद्धार के लिये उचित तंत्र स्थापित करे।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि जल प्रदूषण को रोकने और ऐसी गंभीर विफलताओं पर जवाबदेही तय करने के लिए वैधानिक व्यवस्था कायम करने में लगातार नाकामी हाथ लगी है।

पीठ ने कहा, “देश में प्रदूषण के नियंत्रण के लिये उठाए गए कदमों और सभी प्रदूषित नदी क्षेत्रों के पुनरुद्धार पर ज्यादा प्रभावी नजर रखने के लिये जलशक्ति मंत्रालय एक उचित तंत्र स्थापित करे।”

पीठ में न्यायमूर्ति एस के सिंह भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, “इस तंत्र को “राष्ट्रीय नदी पुनरुद्धार तंत्र” (एनआरआरएम) कहा जा सकता है या कोई अन्य उपयुक्त नाम दिया जा सकता है। एनआरआरएम प्रभावी निगरानी रणनीति के तौर पर उचित स्तरों पर राष्ट्रीय/राज्य/जिला पर्यावरण डाटा ग्रिड स्थापित करने के संदर्भ में भी विचार कर सकता है।”

अधिकरण ने निर्देश दिया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नई परियोजनाओं को शुरू करने और मौजूदा परियोजनाओं को पूरा करने के लिये समयसीमा के सख्त अनुपालन में मिशन के तौर पर काम करना चाहिए।

अधिकरण ने कहा, “प्रदूषण को दूर करने और नदियों के पुनरुद्धार की कार्य योजनाओं के लिये अन्य कदमों को प्रभावी तरीके से अंजाम दिया जाना चाहिए। नदियों के पुनरुद्धार का काम सिर्फ 351 जगहों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि इसे सभी छोटी, मध्यम और बड़ी प्रदूषित नदियों, यहां तक की सूख गई नदियों के लिये भी लागू किया जा सकता है।”

अधिकरण ने पूर्व में देश भर में 350 से ज्यादा प्रदूषित नदी क्षेत्रों को प्रदूषण मुक्त बनाने के उद्देश्य से एक केंद्रीय निगरानी समिति बनाई थी जिसे इस काम को अंजाम देने के लिये राष्ट्रीय योजना को तैयार कर अमल में लाना था।

भाषा

प्रशांत नरेश

नरेश