पलानीस्वामी के खिलाफ द्रमुक नेता की अर्जी पर अदालत ने कहा- फिर से जांच की जरूरत नहीं

पलानीस्वामी के खिलाफ द्रमुक नेता की अर्जी पर अदालत ने कहा- फिर से जांच की जरूरत नहीं

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  • Publish Date - July 18, 2023 / 07:04 PM IST,
    Updated On - July 18, 2023 / 07:04 PM IST

चेन्नई, 18 जुलाई (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी के खिलाफ द्रमुक नेता आर एस भारती की वह अर्जी खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) नीत पिछली सरकार के दौरान राजमार्ग से संबंधित करोड़ों रुपये की निविदा में अनियमितताओं का आरोप लगाया है।

अदालत ने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के संगठन सचिव भारती को मामले की जांच करने के लिए सतर्कता विभाग को निर्देश देने के अनुरोध वाली अपनी अर्जी वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने भारती द्वारा दायर अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि नए सिरे से प्रारंभिक जांच का कोई कारण नहीं है, जैसा कि 2021 में तमिलनाडु में सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य सरकार ने आदेश दिया था।

मूल रूप से, भारती की अर्जी पर उच्च न्यायालय ने 2018 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को मामले की जांच करने का आदेश दिया था। लेकिन, राज्य सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने मामले को नए सिरे से सुनवाई करने के लिए उच्च न्यायालय के पास वापस भेज दिया।

उच्च न्यायालय ने जब याचिका पर सुनवाई शुरू की तो राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में नये सिरे से जांच करायी जायेगी। इसके बाद भारती अपनी अर्जी वापस लेना चाहते थे।

अपने आदेश में न्यायाधीश ने कहा कि विचार करने योग्य महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि नए सिरे से प्रारंभिक जांच का आदेश देने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा। जांच रिपोर्ट 28 अगस्त, 2018 को प्रस्तुत की गई थी। इसे सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) ने स्वीकार कर लिया था और यही कारण है कि भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपील दायर की थी, जिसमें इस अदालत द्वारा पूर्व में पारित आदेश को चुनौती दी गई थी।

न्यायाधीश ने कहा कि इस अवधि के दौरान एकमात्र घटनाक्रम यह हुआ कि सत्ता परिवर्तन हुआ और द्रमुक ने विधानसभा चुनाव जीता और सात मई, 2021 को सरकार बनाई।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसके अलावा, एक और प्रारंभिक जांच नए सिरे से कराने का कोई कारण नहीं है जैसा कि सरकार ने आदेश दिया था। इस न्यायालय के सुविचारित मत में ऐसा निर्देश केवल सत्ता में आये राजनीतिक दल के परिवर्तन के कारण दिया गया है।’’

भाषा आशीष अविनाश

अविनाश