महावारी की उम्र वाली महिलाओं के सबरीमला मंदिर में प्रवेश पर रोक हटाना जरूरी नहीं: माकपा नेता

महावारी की उम्र वाली महिलाओं के सबरीमला मंदिर में प्रवेश पर रोक हटाना जरूरी नहीं: माकपा नेता

महावारी की उम्र वाली महिलाओं के सबरीमला मंदिर में प्रवेश पर रोक हटाना जरूरी नहीं: माकपा नेता
Modified Date: November 29, 2022 / 08:40 pm IST
Published Date: November 13, 2022 9:23 pm IST

अलप्पुझा (केरल), 13 नवंबर (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता जी. सुधाकरन ने रविवार को कहा कि महावारी की उम्र वाली महिलाओं को सबरीमला के भगवान अयप्पा मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है, क्योंकि वह (भगवान अयप्पा) एक ‘‘शाश्वत ब्रह्मचारी’’ हैं और इस प्रथा को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है।

केरल के पूर्व मंत्री सुधाकरन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की न्यूनतम उम्र अब भी 60 साल है, जिसे बदला नहीं गया है।

उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि चूंकि भगवान अयप्पा ‘‘शाश्वत ब्रह्मचारी’’ हैं, इसलिए 60 से कम उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

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सुधाकरन की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब 17 नवंबर से सबरीमला में दो महीने लंबा चलने वाले वार्षिक तीर्थ की शुरुआत होने जा रही है।

वर्ष 2018 में, उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से सभी उम्र की लड़कियों और महिलाओं को सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में जाने की अनुमति देते हुए कहा था कि इस तरह का भेदभाव मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

अगले वर्ष, जब राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के आदेश को लागू करने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ भारी विरोध हुआ और विभिन्न संगठनों ने उच्चतम न्यायालय में 2018 के फैसले की समीक्षा के लिए याचिका दायर की।

इसके बाद, नवंबर 2019 में उच्चतम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 3:2 बहुमत के फैसले से मुस्लिम और पारसी महिलाओं के साथ कथित भेदभाव के अन्य विवादास्पद मुद्दों के साथ-साथ 2018 के इस ऐतिहासिक फैसले की समीक्षा का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को सात-न्यायाधीशों की पीठ को भेज दिया था।

भाषा

शफीक सुरेश

सुरेश


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