परिसीमन के खिलाफ नहीं, लेकिन असंवैधानिक तरीके से की जा रही कवायद : गुपकर गठबंधन |

परिसीमन के खिलाफ नहीं, लेकिन असंवैधानिक तरीके से की जा रही कवायद : गुपकर गठबंधन

परिसीमन के खिलाफ नहीं, लेकिन असंवैधानिक तरीके से की जा रही कवायद : गुपकर गठबंधन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:58 PM IST, Published Date : February 26, 2022/7:13 pm IST

श्रीनगर, 26 फरवरी (भाषा) पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने शनिवार को कहा कि वह परिसीमन की प्रक्रिया के खिलाफ नहीं है, पर जम्मू-कश्मीर में चल रही कवायद ‘असंवैधानिक’ है, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत की जा रही है, जिसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है।

पीएजीडी में जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के पांच राजनीतिक दल शामिल हैं। गठबंधन ने परिसीमन आयोग की मसौदा रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए श्रीनगर में इसके प्रमुख और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के आवास पर बैठक की।

पीएजीडी के प्रवक्ता एमवाई तारिगामी ने कहा कि आयोग की मसौदा रिपोर्ट सहित कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा के दौरान गठबंधन के सभी घटक मौजूद थे।

उन्होंने कहा कि पीएजीडी परिसीमन की प्रक्रिया के खिलाफ नहीं है, क्योंकि यह 2026 में होनी ही थी।

तारिगामी ने हालांकि कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया पुनर्गठन अधिनियम के तहत की जा रही है, जिसे अदालत में चुनौती दी गई है।

उन्होंने कहा, “पीएजीडी अपने इस रुख पर कायम है कि परिसीमन की मौजूदा कवायद जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत की जा रही है, जिसे गठबंधन के घटक दलों द्वारा शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है।

अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बनाने और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले का जिक्र करते हुए पीएजीडी प्रवक्ता ने कहा, “हमारा रुख यह है कि पांच और छह अगस्त 2019 को संसद में जो हुआ, वह असंवैधानिक था। ”

उन्होंने परिसीमन आयोग की सिफारिशों पर सवाल भी उठाए। जम्मू-कश्मीर की ज्यादातर पार्टियों ने आयोग की मसौदा रिपोर्ट की आलोचना की है।

तारिगामी ने कहा, “यहां तक ​​​​कि परिसीमन के मूल मानदंड -जनसंख्या- पर भी उचित ध्यान नहीं दिया गया है। वे सात सीटों को बढ़ाने के निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे? छह, आठ या नौ क्यों नहीं?”

उन्होंने आरोप लगाया कि यहां तक ​​कि पहुंच और भौगोलिक निकटता, जो परिसीमन प्रक्रिया के अन्य मानदंड हैं, उनकी भी अनदेखी की गई है।

परिसीमन आयोग ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर, खासकर कश्मीर घाटी में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में बड़े बदलाव की सिफारिश की है।

तारिगामी ने कहा कि केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के संबंध में लिये गए फैसलों को इस आधार पर जायज ठहराया कि इनसे क्षेत्र का विकास होगा और समृद्धि आएगी।

उन्होंने कहा, “नया कश्मीर क्या है? नया कश्मीर की नींव शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने रखी थी, जिसके तहत सामंती व्यवस्था समाप्त हो गई और भूमि जोतने वाले जमीन के मालिक बन गए।”

तारिगामी ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा मुफ्त करने वाला देश का पहला और एकमात्र राज्य था।

उन्होंने देश के लोगों से जम्मू-कश्मीर के लोगों की ‘तकलीफ’ को समझने का प्रयास करने की अपील की।

पीएजीडी प्रवक्ता ने कहा, “पांच अगस्त 2019 को जो हुआ, वह एक थोपा जाने वाला फैसला था। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों की खामोशी को इस फैसले की स्वीकृति के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।”

भाषा पारुल सुरेश

सुरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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