प्रधानमंत्री और आरएसएस पर ‘आपत्तिजनक’ कार्टून: न्यायालय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बताया

प्रधानमंत्री और आरएसएस पर 'आपत्तिजनक' कार्टून: न्यायालय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बताया

प्रधानमंत्री और आरएसएस पर ‘आपत्तिजनक’ कार्टून: न्यायालय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बताया
Modified Date: July 14, 2025 / 03:19 pm IST
Published Date: July 14, 2025 3:19 pm IST

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं के कथित आपत्तिजनक कार्टून सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोपी एक कार्टूनिस्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का ‘दुरुपयोग’ हो रहा है।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने आरोपी कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील वृंदा ग्रोवर से कहा, ‘‘आप (याचिकाकर्ता) यह सब क्यों करते हैं?’’

ग्रोवर ने कहा कि यह मामला 2021 में कोविड-19 महामारी के दौरान बनाए गए एक कार्टून को लेकर है।

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उन्होंने कहा, ‘‘यह (कार्टून) अरुचिकर हो सकता है। मैं कहना चाहूंगी कि यह घटिया भी है। लेकिन क्या यह अपराध है? माननीय न्यायाधीश ने कहा है कि यह आपत्तिजनक हो सकता है, लेकिन यह अपराध नहीं है। मैं केवल कानून पर बात कर रही हूं। मैं किसी भी चीज को सही ठहराने की कोशिश नहीं कर रही हूं।’’

ग्रोवर याचिकाकर्ता द्वारा की गई पोस्ट को हटाने के लिए सहमत हो गईं।

न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, ‘‘हम इस मामले में चाहे जो भी (निर्णय) करें, लेकिन यह निश्चित रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है।’’

मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने कहा कि ऐसी ‘‘चीजें’’ बार-बार की जा रही हैं।

जब ग्रोवर ने कहा कि कुछ परिपक्वता दिखानी चाहिए, तो इस पर नटराज ने कहा, ‘‘यहां केवल परिपक्वता का सवाल नहीं है, (बल्कि) यह इससे कहीं अधिक है।’’

ग्रोवर ने कार्टून के प्रकाशन के समय का उल्लेख करते हुए कहा कि तब से कानून-व्यवस्था की कोई समस्या नहीं हुई है।

उन्होंने कहा कि मुद्दा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है और क्या इसके लिए गिरफ्तारी और हिरासत की आवश्यकता होगी।

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 जुलाई (मंगलवार) की तारीख निर्धारित की।

ग्रोवर ने पीठ से याचिकाकर्ता को तब तक अंतरिम संरक्षण प्रदान करने का अनुरोध किया। हालांकि, पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर कल (मंगलवार को) विचार करेंगे।’’

मालवीय ने उन्हें अग्रिम जमानत न देने संबंधी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के तीन जुलाई के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।

वकील और आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी की शिकायत पर मई में इंदौर के लसूड़िया पुलिस थाने में मालवीय के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

जोशी ने आरोप लगाया है कि मालवीय ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करके हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ा।

प्राथमिकी में कई ‘आपत्तिजनक’ पोस्ट का उल्लेख किया गया है, जिनमें भगवान शिव पर कथित रूप से अनुचित टिप्पणियों के साथ-साथ कार्टून, वीडियो, तस्वीरें और मोदी, आरएसएस कार्यकर्ताओं तथा अन्य लोगों के बारे में टिप्पणियां शामिल हैं।

उच्च न्यायालय में मालवीय के वकील ने दलील दी थी कि उन्होंने केवल एक कार्टून पोस्ट किया था, लेकिन अन्य फेसबुक उपयोगकर्ताओं द्वारा उस पर की गई टिप्पणियों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

प्राथमिकी में उन पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और आरएसएस की छवि धूमिल करने के इरादे से अभद्र और आपत्तिजनक विषय-वस्तु पोस्ट करने का आरोप लगाया गया है।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196 (विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने के प्रतिकूल कार्य), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) और 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-ए (इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में स्पष्ट रूप से किसी भी यौन सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत मामला दर्ज किया है।

भाषा सुरेश नरेश

नरेश


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